- शाहीन बाग में गत 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी है प्रदर्शन
- मुस्लिम समुदाय को आशंका है कि सरकार सीएए के बाद देश में एनआरसी लागू करेगी
- सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अभी एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई, सीएए किसी की नागरिकता नहीं छीनेगा
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुक असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। ओवैसी ने कहा कि वह और उनका समदुाय अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कागज का कोई टुकड़ा नहीं दिखाएगा। कागज अगर दिखाने की बात आई तो वह गोली खाने के लिए वह अपना सीना दिखाएंगे।
एआईएमआईएम नेता ने कहा, 'जो मोदी-शाह के खिलआफ आवाज उठाएगा वो सही मायने में मर्द-ए-मुजाहिद कहलाएगा। मैं वतन में रहूंगा, कागज नहीं दिखाऊंगा। कागज अगर दिखाने की बात होगी तो सीना दिखाएंगे कि मार गोली। मार दिल पे गोली मार क्योंकि दिल में भारत की मोहब्बत है।' सीएए के खिलाफ देश भर में कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में जारी है धरना
दिल्ली के शाहीन बाग में बीते 15 दिसंबर से धरना चल रहा है। इस धरने में महिलाओं एवं बच्चों की संख्या अधिक है। यहां धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार अपने रुख से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। गृह मंत्री अमित शाह स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि सरकार किसी भी कीमत पर सीएए को वापस नहीं लेगी।
सीएए,एनआरसी पर मुस्लिम सुमदाय को है आशंका
मुस्लिस समुदाय को लगता है कि सरकार सीएए के बाद देश में एनआरसी लागू करेगी। एनआरसी पर गृह मंत्री और पीएम मोदी के दो अलग-अलग बयानों से एनआरसी पर दुविधा की स्थिति पैदा हुई। हालांकि, अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एनआरसी पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। मुस्लिम समुदाय को लगता है कि सरकार आने वाले समय में एनआरसी ला सकती है और उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज दिखाने के लिए बाध्य किया जा सकता है।
विदेशी अल्पसंख्यकों को सरकार देगी नागरिकता
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सरकार नागरिकता देगी। इसमें हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शामिल हैं। विपक्ष इस कानून का विरोध कर रहा है। विपक्ष की दलील है कि धार्मिक आधार पर नागरिकता का प्रावधान करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।