- मोहन भागवत ने दिया था बयान-1930 के बाद मुस्लिम आबादी बढ़ाने की सुनियोजित कोशिश हुई
- असदुद्दीन ओवैसी बोले- आरएसएस के प्रति जीरो दिमाग
- 1950 से 2011 के बीच मुसलमानों की आबादी में कमी आई
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान दिया था कि 1930 के बाद मुस्लिम आबादी को बढ़ाने पर सुनियोजित तरह से काम किया गया था। अब उनके इस बयान पर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है। संघ मुस्लिम विरोधी नफरत का आदी है और इसके साथ समाज को जहर देता है। इस महीने की शुरुआत में "हम एक हैं" के बारे में भागवत के सभी नाटकों ने उनके अनुयायियों को बहुत परेशान किया होगा। इसलिए उन्हें मुसलमानों को नीचा दिखाने और झूठ बोलने की ओर लौटना पड़ा। आधुनिक भारत में हिंदुत्व का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
असदुद्दीन ओवैसी का खास ट्वीट
अगर सबका डीएनए एक है तो गिनती क्यों हो रही है।
अगर भारत में मुस्लिम आबादी को देखें तो 1950 से 2011 में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है।
हकीकत यह है कि संघ के पास जीरो ब्रेन और मुसलमानों से 100 फीसद नफरत है।
आरएसएस प्रमुख ने क्या कहा था
मोहन भागवत ने कहा कि 1930 से भारत में मुस्लिम आबादी बढ़ाने के पीछे वजह थी। मुस्लिम नेता यह चाहते थे कि इस देश को पाकिस्तान बनाया जा सके और इसके लिए पंजाब, सिंध, असम, बंगाल को शामिल किया गया और कुछ हद तक कामयाबी भी मिली थी। लेकिन पंजाब और बंगाल आधा मिला। असम में किसी तरह की कामयाबी नहीं मिली। अब एक बार फिर उसी दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश की जा रही है।