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बेंगलुरु : कथित हमले को याद कर रो पड़ी आशा कर्मी, कहा-कोविड 19 पर जागरूकता फैलाने आए थे  

Updated Apr 02, 2020 | 12:52 IST

बेंगलुरु में आशा कर्मचारी का दावा है कि इलाके के एक व्यक्ति ने वहां से जाने और डाटा एकत्र न करने की धमकी दी। आशा कर्मी का कहना है कि डाटा एकत्र करने में सहयोग न करने की अपील मस्जिद से की गई।

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बेंगलुरु में आशा कर्मियों पर कथित रूप से हुआ हमला।
मुख्य बातें
  • बेंगलुरु में कोविड-19 के प्रति लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने गई थीं आशा कर्मी
  • आशा कर्मी का दावा है कि मस्जिद से घोषणा हुई कि लोग उनका सहयोग न करें
  • सादिक इलाके में अपने साथ हुई कथित बदसलूकी को याद कर रो पड़ी आशा कर्मी

बेंगलुरु : कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करने वाली आशा कर्मचारियों पर हमले और उनके साथ बदसलूकी की घटनाएं सामने आने लगी हैं। बेंगलुरु में एक ऐसी ही घटना सामने आई है। यहां एक आशा कार्यकर्ता ने आरोप लगाया है कि सादिक इलाके में जब वह कोरोना वायरस के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रही थी तो उन पर कथित रूप से हमला हुआ। बताया जा रहा है कि आशा कर्मियों को इस इलाके में प्रत्येक घर जाकर यह पता करने का निर्देश था कि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं। आशा कर्मियों को ऐसे व्यक्तियों के बारे में डाटा एकत्र करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

एक आशा कर्मचारी का दावा है कि इलाके के एक व्यक्ति ने वहां से जाने और डाटा एकत्र न करने की धमकी दी। आशा कर्मी का कहना है कि डाटा एकत्र करने में सहयोग न करने की अपील मस्जिद से की गई जिसके बाद कई मुस्लिम परिवार घरों से बाहर आए और उनके साथ बदसलूकी की। आशा कर्मी ने मस्जिद से इस तरह की घोषणा करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी की मांग की है। दावा यह भी है कि इलाके में आशा कर्मियों के अन्य समूहों को भी निशाना बनाया गया। 

इलाके में अपने समूह के ऊपर हुए कथित हमले को याद करते हुए आशा कर्मी रो पड़ी। उसने कहा कि समूह के लोगों के पास पानी और भोजन नहीं है और वे लोग यहां स्थानीय नागरिकों की मदद करने आए लेकिन उन पर हमला किया गया। 

आशा कर्मी कृष्णावेनी ने कहा, 'मैं पिछले 5 सालों से आशा कर्मी हूं। कोरोना वायरस के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए हम पिछले 10 दिनों से घर-घर जा रहे हैं। हम परिवारों के ब्योरे एकत्र करते हैं। सादिक इलाके में सर्वे के दौरान एक व्यक्ति ने ब्योरे एकत्र करने से मना किया। हमने उन्हें कोविड-19 के बारे में बताया। इसके बाद मस्जिद से घोषणा हुई। फिर लोग अपने घरों से बाहर निकले और हमारे साथ बदसलूकी की।'

आशा कर्मी ने आगे बताया, 'लोगों ने हम पर सवाल उठाए और पूछा कि किसके कहने पर हम यहां आए हैं। उन लोगों ने हमारे फोन छीन लिए और हमारे साथ बुरा बर्ताव किया। मैं पिछले पांच सालों से इस तरह का काम कर रही हूं लेकिन मेरे साथ कभी इस तरह की घटना नहीं हुई। हम उन्हें कोविड-19 के लक्षणों के बारे में बता रहे हैं। पुलिस भी यहां नहीं आई। इलाके में हमारे अन्य समूहों पर भी हमले हुए। हमें यह काम करते हुए काफी दिक्कतें भी हो रही हैं। यहां परिवहन की सुविधा नहीं है। हम अपने खर्चे पर सर्वे का काम कर रहे हैं फिर भी हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है।' कर्नाटक में कोविड-19 से संक्रमण के अब तक 110 केस सामने आए हैं। वायरस से संक्रमित 9 लोगों को ठीक किया जा चुका है जबकि तीन लोगों की मौत हुई है।

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