- एशिया का सबसे बड़ा स्लम है धारावी जो मुंबई के बीचोंबीच स्थित है
- मुंबई के सेंटर मे स्थित है धारावी जहां 21 मिलियन आबादी वाली मुंबई का प्लास्टिक रीसायकल होता है
- 18वीं सदी के पहले धारावी एक आइलैंड था जो आज जनसंख्या की दृष्टि के एशिया का सबसे बड़ा स्लम है
नई दिल्ली : महाराष्ट्र में नोवेल कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 868 हो गए हैं जबकि इससे मरने वालों की संख्या 52 हो गई है। केवल मुंबई में कोरोना के 526 कोरोना के मरीजों की पुष्टि की गई है। मुंबई में बीचोंबीच स्थित और एशिया का सबसे बड़ा स्लम धारावी में कोरोना के मरीजों की संख्या 7 हो गई है। मंगलवार को धारावी में कोरोना के दो नए मामले सामने आए। एक 80 साल का बुजुर्ग जबकि एक 49 साल का व्यक्ति कोरोना का मरीज पाया गया।
ये दोनों 30 वर्षीय एक महिला के संपर्क में आए थे जो कोरोना से संक्रमित थी। इससे पहले अन्य कोरोना से संक्रमित पाए गए थे जिनमें से 1 अप्रैल को 1 मरीज की मौत हो गई थी। कोरोना के इन्हीं मामलों के साथ ही धारावी एक बार फिर से मीडिया में सुर्खियों में आ गया है। सबसे घनी आबादी होने के कारण यहां कोरोना के संक्रमण का खतरा भी ज्यादा हो गया है। जिस तरह से कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है इससे ये खतरा बन रहा है कि कहीं धारावी इसका हॉटस्पॉट ना बन जाए। जानते हैं धारावी से जुड़ी रोचक बातों को-
- 18वीं सदी से पहले धारावी एक आइलैंड था। धारावी एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया है जो महाराष्ट्र के प्राइम लोकेशन में स्थित है। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये जनसंख्या की दृष्टि से एशिया का सबसे बड़ा स्लम है ना कि साइज क दृष्टि से।
- यह 1840 से मुंबई का एक अहम हिस्सा है, इस प्रकार से यह कनाडा से भी पुराना शहर है। उस समय लोग जब मुंबई आए थे तो उनके पास रहने के लिए पैसे नहीं थे फिर उन्होंने सरकारी जमीनों पर अपने घर बना लिए और फिर तब से यहीं रहने लगे और धीरे-धीरे ये एक बहुत बड़ा स्लम एरिया बन गया।
- शुरू-शुरू में जो यहां पर आए उन्होंने खाली जमीनों पर अपने बड़े-बड़े घर बना लिए लेकिन बाद में लोग आते गए और उनके घरों का आकार छोटा होता गया।
- धारावी की कुल जनसंख्या अज्ञात है लेकिन कहा जा सकता है कि यहां पर कुल साढ़े 7 लाख लोग रहते हैं। यह दुनिया का सबसे घना इलाका है जहां कम जगह पर ही बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।
- यहां 21 मिलियन आबादी वाली मुंबई से निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट का 80 फीसदी हिस्सा रिसाइकिल किया जाता है। ये ना सिर्फ प्लास्टिक रीसायकल करते हैं बल्कि कार्डबोर्ड, ग्लास और मेटल भी रीसायकल करते हैं। ना सिर्फ मुंबई बल्कि देश और दुनियाभर के प्लास्टिक रीसायकल का काम किया जाता है।
- धारावी का प्लास्टिक उद्योग 10 हजार से 12 हजार लोगों को देता है। यहां की बड़ी आबादी भारत के मिनिमम मजदूरी दर से भी ज्यादा कमाते हैं।
- यह सेंट्रल मुंबई में है जो प्राइम लोकेशन कहलाता है इसलिए यहां से सबकुछ नजदीक है।
- अगर आप ऐसा सोचते हैं कि धारावी जैसा स्लम भारत के अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं देता होगा तो हम आपको बता दें कि यहां कई प्रकार के छोटे-बड़े बिजनेस हैं जहां कपड़ों, लेदर, पॉटरी व प्लास्टिक के सामान बनाता है।
- ऑस्कर विजेता फिल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के कुछ सीन वाकई में धारावी में फिल्माए गए थे।