नई दिल्ली: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है इस फैसले पर देश ही नहीं दुनिया भर से तमाम निगाहें लगी हुईं थीं। फैसला आने के बाद हिंदू पक्ष ने तो खुशी जताई ही है वहीं मुस्लिम समुदाय ने भी फैसले का सम्मान किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में काफी लंबे समय से चले आ रहे इस विवादित मुद्दे का पटाक्षेप कर दिया है।
अयोध्या पर आए फैसले को लेकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतुलित टिप्पणी करते हुए प्रदेश के लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया है और आगे भी स्थिति को सामान्य बनाए रखने की अपील भी की है।
अयोध्या यूं तो श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से ही बड़ी आस्था का केंद्र रही है वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कार्यकाल संभालने के बाद अयोध्या में दीपावली पर बहुत वृहद तरीके से और बड़ी तादात में दीपदान का कार्यक्रम करवाकर तमाम लोगों का ध्यान अयोध्या जी की तरफ आकर्षित करवाने की अहम पहल की है।
ये योगी आदित्यनाथ ही थे जिन्होंने फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया और अब अयोध्या में सरयू नदी के किनारे भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद ढाई साल में 18 बार अयोध्या के दौरे पर गये हैं।
योगी आदित्यनाथ ने तीन बार अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम में हिस्सा लिया और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया। पिछले 27 सालों में समाजवादी पार्टी सरंक्षक मुलायम सिंह यादव, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित वरिष्ठ नेता अयोध्या जाने और रामलला के दर्शन से कतराते रहे हैं।
गोरखनाथ मंदिर से राम मंदिर का रिश्ता नया नहीं है
500 सालों के संघर्ष के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में इस विवाद का समाधान कर दिया । संयोग है कि जब रामलला के पक्ष में फैसला आया है तो उस निर्णय को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में गोरखनाथ मंदिर के महंत योगी आदित्यनाथ मौजूद है। गोरखनाथ मंदिर से राम मंदिर का यह रिश्ता नया नहीं बल्कि तीन पीढ़ियों का है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी आदित्यनाथ अयोध्या के प्रति अपने इस जुड़ाव को दिखाते भी रहे हैं। रामलला के दर्शन करने से लेकर दीपोत्सव के रूप में अयोध्या के गौरव को लौटाने का प्रयास और सैकड़ों करोड़ की विकास योजनाओं से यह साफ भी होता है। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में जब भी कोई महत्वपूर्ण घटना घटी है उसका संबंध गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा है।
राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र भी गोरखनाथ मंदिर बन गया था
22-23 दिसंबर 1949 को जब विवादित ढांचे में रामलला का प्रकटीकरण हुआ उस दौरान वहां तत्कालीन गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजय नाथ जी कुछ साधु संतों के साथ संकीर्तन कर रहे थे।
1986 में जब फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर लगा ताला खोलने का आदेश दिया था तो ताला खोलने के लिए वहां पर गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ जी मौजूद थे। बाद में राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र भी अवैद्यनाथ जी के नेतृत्व में गोरखनाथ मंदिर बन गया था।
फैसले से पहले ढाई सालों में तीन भव्य दीपोत्सव करके देश विदेश में अयोध्या के गौरव को फिर से लौट आने का प्रयास देश के लोगों की उम्मीदों को जिंदा कर गया था। पहले दीपोत्सव में ही योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या करके जन भावनाओं को मूर्त रूप करने का मार्ग बना दिया था।