- अपनी परंपरागत सीट आजमगढ़ से सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है।
- धर्मेंद्र यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई है। और वह मुलायम परिवार के गढ़ मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं।
- आजम खान के करीबी यह आरोप लगाते रहे हैं किअखिलेश यादव के पास जेल में बंद आजम खान से मिलने का वक्त नहीं था।
Azam Khan and Akhilesh Yadav: पहले कपिल सिब्बल को आजम खान की जमानत पर राज्य सभा टिकट का ईनाम देना, फिर सिब्बल की कवायद से आजम खान से लंबे समय बाद मुलाकात और अब आजम खान के करीबी असीम रजा को लोकसभा टिकट देना। इन कवायदों से साफ है कि अखिलेश यादव वह हर कोशिश कर रहे हैं जिससे आजम खान की कथित नाराजगी दूर हो जाए। जिससे कि वह विधानस सभा चुनाव में हार के बाद, पार्टी में मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं की खड़ी हुई नाराजगी क दूर कर सके। और लगता है कि आजम खान की नाराजगी दूर की करने की कोशिशें रंग भी ला रही है। क्योंकि असीम रजा की उम्मीदवारी बहुत कुछ कहती है।
आजम खान के बेहद करीब हैं असीम रजा
रामपुर में आजम खान द्वारा सांसद सीट छोड़ने के बाद 23 जून को चुनाव होने हैं। और इस सीट पर आजम खान के बेहद करीबी असीम खान को टिकट मिलने से साफ है कि अखिलेश यादव और आजम खान के बीच की दूरियां जरूर कम हुई हैं। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में आजम खान के साथ करीब दो घंटे चली मुलाकात में लोक सभा उम्मीदवार के नाम को लेकर भी चर्चा हुई थी। और वहां अखिलेश यादव ने उम्मीदवार की जिम्मेदारी आजम खान पर छोड़ने की बात भी कही थी। और उसके बाद असीम रिजवी जो सपा के रामपुर में जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। उनको टिकट देने से साफ है कि अखिलेश हर हाल में आजम खान के गिले-शिकवे दूर करना चाहते हैं। अखिलेश यादव पर पार्टी के ही कई मुस्लिम नेता और आजम खान के करीबी यह आरोप लगाते रहे हैं कि सपा अध्यक्ष के पास जेल में बंद आजम खान से मिलने का वक्त नहीं था। हालांकि भाजपा ने रामपुर से कभी आजम खान के करीबी रहे और सपा के पूर्व एमएलसी घनश्याम लोदी को मैदान में उतार कर लड़ाई को रोचक बना दिया है। रामपुर को आजम खान का गढ़ माना जाता है, वह यहां से 10 बार विधायक रह चुके हैं।
धर्मेंद्र यादव पर भरोसा
अपनी परंपरागत सीट आजमगढ़ से सपा ने धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। धर्मेंद्र यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई है। और वह मुलायम परिवार के गढ़ मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं। और 2019 में बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ संघमित्र मौर्य से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार अखिलेश यादव ने उन पर फिर से भरोसा जताया है। आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव सांसद रह चुके हैं। ऐसे में यह सीट मुलामय परिवार के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। और धर्मेंद्र यादव की टक्कर भाजपा के दिनेश लाल यादव और ऊर्फ निरहुआ से है। जिन पर भाजपा ने फिर भरोसा जताया है। जबकि बसपा ने गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है।