लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता व यूपी के रामपुर से सांसद आजम खां और उनके परिवार की मुश्किलें खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं। फर्जी प्रमाण-पत्र मामले में आजम खां, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को बुधवार को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के अगले दिन गुरुवार को यूपी विधानसभा ने सपा नेता की विधायकी रद्द कर दी।
इस संबंध में जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि अब्दुल्ला आजम की विधायकी 16 दिसंबर, 2019 से रद्द मानी जाएगी, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा नेता की विधायनसभा सदस्यता रद्द किए जाने का आदेश दिया था। अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक रहे हैं। उन पर दो प्रमाण-पत्र बनवाने और नामांकन के वक्त फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र देने का आरोप है।
बीजेपी नेता ने दर्ज कराई थी शिकायत
आजम खां के बेटे के फर्जी प्रमाणा-पत्र का यह मामला बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने दायर किया था, जिसमें सपा नेता, उनकी पत्नी और बेटे को भी नामजद किया गया था। कोर्ट ने इस मामले में उन्हें समन भी जारी किया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए, जिसके बाद अदालत ने दिसंबर 2019 में उनके खिलाफ नोटिस भी जारी किया।
इस मामले में मंगलवार को बड़ा फैसला आया था जब एक विशेष अदालत ने सपा नेता की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। एमपी-एमएलए विशेष अदालत के इस आदेश के बाद आजम, उनकी पत्नी और उनके बेटे ने बुधवार को कोर्ट में समर्पण कर दिया, जहां से उन्हें 2 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सपा नेता की बढ़ी मुश्किलें
इस मामले में अदालत के फैसले से सपा नेता की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं, जो पार्टी में अल्पसंख्यक समुदाय के बड़े नेता के तौर पर देखे जाते रहे हैं। उनकी गिनती सपा के संस्थापक सदस्यों में होती है तो मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ अखिलेश यादव के बीच भी उनकी खूब पूछ रही है। माना जा रहा है कि वे अपने सियासी सफर के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
आजम खां की पहचान विरोधियों पर तंज कसने वाले नेता के तौर पर भी रही है। शेरो-शायरी और लच्छेदार भाषा में वे अक्सर विपक्षी दलों के नेताओं पर तीखे व्यंग्य बाण छोड़ते रहे हैं, लेकिन इस वक्त वह खुद कानूनी दांवपेंच में उलझकर रह गए हैं, जिसमें न केवल वह खुद फंसे हैं, बल्कि उनका पूरा परिवार फंसा हुआ है। अब देखना होगा कि सपा अपने इस नेता के बचाव को लेकर क्या रणनीति अपनाते हैं।