- कोविशील्ड के साथ इस समय कोवैक्सीन भी लोगों को दिया जा रहा है
- कोवैक्सीन का उत्पादन भारत बायोटेक कर रही है।
- कोवैक्सीन टीके को डबल म्यूटेंट के लिए बताया जा रहा है असरकारी
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को संजीवनी के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में इस समय कोविशील्ड और कोवैक्सीन इस्तेमाल में लाया जा रहा है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन के दायरे को भी बढ़ा दिया गया है। लेकिन इस समय सबसे बड़ी दिक्कत वैक्सीन की कमी है जिसे लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है। इन सबके बीच भारत बायोटेक ने जानकारी दी है कि बाजार तक वैक्सीन आने में देरी क्यों हो रही है।
वैक्सीन के बाजार तक पहुंचने में करीब 120 दिन का समय
भारत बायोटेक का कहना है कि वैक्सीन के उत्पादन और उसे बाजार तक लाने में 120 दिन का समय लगता है। एक उदाहरण के जरिए कंपनी ने बताया कि मान लीजिए कि वैक्सीन के किसी बैच का उत्पादन मार्च के महीने में शुरू हुआ तो उसे बाजार तक आने में जून का महीना लग जाएगा। वैक्सीन उत्पादन में इतना समय लगता है लिहाजा यह कहना कि देरी हो रही है सही नहीं होगा।
विपक्ष के आरोप
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अब जबकि साफ हो चुका है कि कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए सिर्फ वैक्सीन काम आ सकती है तो वैक्सीन की किल्लत पर केंद्र सरकार खामोश है। आखिर सरकार किस तरह की रणनीति पर काम कर रही है सच पूछिए तो केंद्र के पास वैक्सीनेशन की कोई राष्ट्रव्यापी नीति नहीं है। ये बात अलग है कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने तुरंत राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि तथ्यों से परे उन्हें बात करने की आदत है। उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक बड़े पैमाने पर टीकाकरण के कार्यक्रम को संपन्न करा लिया जाएगा।