- 16 बागी विधायकों की अयोग्यता का मामला
- तत्कालीन डिप्टी स्पीकर ने एकनाथ शिंदे खेमे के 16 विधायकों को ठहराया था बागी
- एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन डिप्टी स्पीकर के फैसले को दी थी चुनौती
महाराष्ट्र की सियासत पर शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट काबिज है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि शिंदे गुट के जिन 16 विधायकों को तत्कालीन डिप्टी स्पीकर ने अयोग्य ठहराया था उनका क्या होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई होने वाली है। 16 बागी विधायकों के अयोग्यता के मामले में सुप्रीम अदालत ने सुनवाई के लिए आज का दिन तय किया था। बता दें कि पिछले महीने शिवसेना से जब शिंदे ने बगावत की और विधायकों की एक बड़ी खेप उनके साथ गुजरात से अहमदाबाद साथ रही तो उस समय डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जिसमें खुद एकनाथ शिंदे का भी नाम है। यह बात अलग है कि शिंदे खेमे की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई कि जब दो तिहाई विधायकों को डिप्टी स्पीकर पर अविश्वास है तो वो अयोग्य कैसे ठहरा सकते हैं।
क्या है मामला
महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच दोनों पक्षों ने दूसरे पक्ष की कार्रवाई को चुनौती दी थी, अदालत छुट्टी पर थी और कुछ अंतरिम आदेश पारित करने के बाद अदालत ने मामले को सुनवाई के लिए रखा था जब एससी फिर से खुल गया था और निर्दिष्ट किया था कि कुछ भी अपरिवर्तनीय नहीं है, और सभी कार्रवाई द्वारा राज्य में संवैधानिक प्राधिकरण जैसे राज्यपाल स्पीकर और डिप्टी स्पीकर अदालत में लंबित याचिकाओं के परिणाम (VERDICT) के अधीन होंगे
इसकी संभावना कम है कि एससी इस मोड़ पर हस्तक्षेप करेगा। लेकिन एक याचिका जो मामले को पलट सकता है वो यह है कि उद्धव गुट द्वारा दायर सभी 39 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग क्योंकि शिंदे खेमे का किसी भी पार्टी में विलय नहीं हुआ है या उन्हें मुख्य पार्टी मान्यता नहीं मिली है। उनका तर्क होगा कि दसवीं अनुसूची के तहत अगर एक राजनीतिक दल का 2/3 हिस्सा किसी अन्य राजनीतिक दल में विलय हो जाता है या उसे मुख्य पार्टी के रूप में मान्यता मिल जाती है, तो अयोग्यता के दायरे में नहीं आएगी। विलय के बिना 2/3 के समर्थन का दावा करने मात्र से एकनाथ शिंदे खेमे को अयोग्यता से नहीं बचाया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
- डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली एकनाथ शिंदे और 15 बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका
- राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर याचिका जिसमें मुख्यमंत्री से विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा गया है
- उद्धव गुट द्वारा दायर याचिका में बागी विधायकों को सदन से तब तक के लिए निलंबित करने की मांग की गई जब तक कि उनकी अयोग्यता याचिका पर SC का फैसला नहीं हो जाता।
- शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में एकनाथ शिंदे समूह द्वारा नामित व्हिप को मान्यता देने वाले नवनिर्वाचित महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे समूह द्वारा दायर याचिका। स्पीकर की कार्रवाई को चुनौती देने वाली रिट याचिका उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले समूह द्वारा नियुक्त किए गए व्हिप सुनील प्रभु ने दायर की है।
- महाराष्ट्र में बागी-भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के 30 जून के फैसले को चुनौती देते हुए उद्धव ठाकरे गुट (इसके महासचिव सुभाष देसाई) द्वारा दायर याचिका।
- याचिका 3 और 4 जुलाई को विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती देती है, जहां भाजपा द्वारा समर्थित विद्रोही गुट ने नया अध्यक्ष चुना और फिर सदन में बहुमत साबित करने के लिए चला गया।
- उद्धव गुट के शिवसेना के 14 विधायकों ने उनके खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती देते हुए याचिका दायर की
संजय राउत ने कसा था तंज
मंगलवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने तंज कसते हुए कहा था कि जिन लोगों की अयोग्यता पर फैसला होना है वो लोग हम लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सच क्या है किसके हक में फैसला आएगा वो दिन आ चुका है। 20 जुलाई को साफ हो जाएगा कि किसने किसके साथ धोखा किया। इन सबके बीच शिवसेना के 12 सांसदों को अलग गुट के तौर पर मान्यता मिल गई है जिसके नेता राहुल शेवाले होंगे। राहुल शेवाले को बहुमत गुट ने अपना नेता चुना। बागी गुट को मान्यता देने के लिए कई अदालती फैसलों का हवाला भी दिया गया।
लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसद
लोकसभा में शिवसेना के 19 सांसद हैं, जिनमें से 12 शिंदे खेमे को अपना समर्थन दे रहे हैं।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे सहित शिवसेना के बारह लोकसभा सदस्यों ने पहले अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता को बदलने का अनुरोध किया। पार्टी के सदन के नेता विनायक राउत द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र दिए जाने के एक दिन बाद शिवसेना के बागी सांसदों ने बिरला से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने प्रतिद्वंद्वी गुट के किसी भी निवेदन पर विचार नहीं करने की अपील की गई थी।