लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए भारत की सुप्रीम कोर्ट ने 13 हजार से ज्यादा याचिकाओं को न सुनने का फैसला लिया है। ये सभी याचिकाएं 19 अगस्त 2014 से पहले लगाई गई थीं, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से इनकी सुनवाई का नंबर नहीं आ सका था।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में ही सिर्फ 70 हजार से मुकदमे लंबित हैं। ऐसे में डिफेक्ट याचिकाओं को डिलीट करने के बाद इस संख्या में बड़ी कमी आ जायेगी।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या को घटाने का प्रयास कर रहे हैं
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया उदय उमेश ललित लगातार अधिक से अधिक मामलों को सुनवाई के लिए लगा कर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या को घटाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में याचिकाकर्ताओं की लापरवाही से 8 सालों से ज्यादा पड़ी इन याचिकाओं को डिलीट कर देने से मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के प्रयासों को और बल मिलेगा।
क्या है मामला?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में कोई भी याचिका फाइल होती है तो उसे डायरी नंबर मिलता है। अगर याचिकाओं में कोई भी तकनीकी गलती होती है तो सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री उन्हें वकील या याचिकाकर्ता को वापस भेजकर सुधारने के लिए कहता है। नियम के मुताबिक रजिस्ट्री की तरफ से बताई गई कमी को 28 दिन के अंदर सुधारना होता है।
लेकिन इन 13147 मामलों में 8 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी गलतियों को दुरुस्त नहीं किया गया। ऐसे में ये मामले सुप्रीम कोर्ट में कभी सुनवाई के लिए किसी भी बेंच के सामने लिस्ट नहीं हो सके।