- बिहार में पिछले कई सालों से लागू है शराबबंदी
- शराबबंदी कानून के बाद भी अवैध शराब का धड़ल्ले से चलता है कारोबार
- रोज कहीं न कहीं पकडे़ जाते हैं अवैध शराब
बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। यानि राज्य में शराब बेचना, खरीदना और पीना कानूनी अपराध है। इसके बाद भी रोज अवैध शराब की बिक्री के मामले सामने आते रहे हैं। रोज कहीं न कहीं पुलिस छापे मारती है, सैकड़ों लीटर अवैध शराब बरामद करती है। इस दौरान शराब को तो नष्ट कर दिया जाता है, लेकिन उसकी बोतलों को लेकर एक सिरदर्द बना रहता था, लेकिन अब सरकार ने इसके लिए एक बहुत ही नायाब तरीका निकाला है।
नीतीश सरकार इन शराब की बोतलों से बिहार की महिलाओं को रोजगार देने जा रही है। दरअसल सरकार की मदद से अब महिलाएं इन बोतलों से चूड़ियां बनाएंगीं। इसके लिए सरकार ने फंड भी जारी कर दिया है।
राज्य सरकार के निषेध विभाग ने ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम 'जीविका' से जुड़ी महिलाओं के लिए यह योजना लाई गई है। चूड़ी निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए 1 करोड़ रुपये मंजूर भी कर दिए गए हैं।
मद्य निषेध एवं आबकारी मंत्री सुनील कुमार ने पीटीआई को बताया- "जब्त शराब की बोतलों को तोड़ दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भारी कचरा पैदा हो जाता है। इसी को दूर करने के लिए विभाग अब कांच की चूड़ियों के निर्माण के लिए महिलाओं को ये बोतलें दी जाएंगीं। इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है।"
उन्होंने आगे कहा कि इसे लेकर और रिपोर्ट बनाई जा रही है। शुरुआत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की संख्या सीमित होगी, लेकिन आने वाले महीनों में इसमें बढ़ोतरी की जाएगी। यह कार्य कुटीर उद्योग की तरह चलेगा।
ये भी पढ़ें- Bihar: शराबबंदी वाले बिहार में BJP MLC देवेश कुमार निकले 'शराबी', दोस्त को बचाने में चक्कर में खुली पोल