- किसान आंदोलन का समाधान अगर कैप्टन की अगुवाई में होता है तो उसका उन्हें पंजाब विधान सभा चुनावों में बड़ा फायदा मिल सकता है।
- राष्ट्रवाद और पाकिस्तान- सिद्धू की दोस्ती जैसे मुद्दे उठाकर कैप्टन ने अपना एजेंडा साफ कर दिया है।
- अगर भाजपा-कैप्टन की पार्टी का गठबंधन होता है तो कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी के लिए नई चुनौती खड़ी हो जाएगी।
नई दिल्ली। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। मंगलवार को उन्होंने अपने मीडिया सलाहकार रवीन ठुकरान के ट्वीट के जरिए इस बात को भी साफ कर दिया है कि उन्हें भाजपा के साथ गठबंधन करने से परहेज नहीं है। बशर्ते कि किसान आंदोलन का किसानों के हितों को देखते हुए समाधान निकल जाय। साफ है कि कैप्टन 2022 के पंजाब विधान सभा चुनावों से पहले अपने लिए मजबूत जमीन तैयार करना चाहते हैं। और ऐसा वह अकेले नहीं कर सकते, क्योंकि अगले 4-5 महीने में नई पार्टी को खड़ा कर चुनाव में जीतना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें मजबूत कैडर और संगठन वाली पार्टी की जरूरत पड़ेगी जो इस समय भाजपा से बेहतर नहीं हो सकती है।
अमित शाह और कैप्टन की दिल्ली में हो चुकी है मुलाकात
पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह की 29 सितंबर को गृहमंत्री और भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात हुई थी। और यह मुलाकात करीब 45 मिनट चली थी। उसके बाद से ही उन्होंने साफ कर दिया था कि कम से कम अब वह कांग्रेस में नहीं रहने वाले हैं। साथ ही 2022 के चुनाव से वह अपने कदम पीछे नहीं हटा रहे हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि किसान आंदोलन का समाधान निकालने की कोशिशें चल रही हैं।
कैप्टन भाजपा के लिए बनेंगे तारणहार
करीब एक साल से चल रहे किसान आंदोलन को कैप्टन अमरिंदर सिंह का भी समर्थन मिलता रहा है। पंजाब में मुख्यमंत्री रहते उन्होंने किसान आंदोलन को मजबूत करने में मदद की, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है। साथ ही किसानों के बीच कैप्टन का मजबूत जनाधार है। भाजपा, कैप्टन की इसी ताकत का फायदा उठाना चाहती है। ऐसे में अगर कैप्टन किसान आंदोलन को सम्मानजनक तरीके से खत्म करवा देते हैं, तो यूपी, पंजाब, उत्तरांखड सहित 5 राज्यों के चुनावों से पहले भाजपा को बड़ी राहत मिल जाएगी।
क्या निकल गया रास्ता
जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमित शाह से मुलाकात के करीब 20 दिन बाद पार्टी बनाने का ऐलान किया है और भाजपा से गठबंधन के संकेत दिए है। उससे साफ है कि कैप्टन और भाजपा अंदरखाने किसान आंदोलन को खत्म करने का फॉर्मूला तैयार कर रहे हैं या कर चुके हैं। क्योंकि भाजपा के साथ कैप्टन को जाने का तभी फायदा मिलेगा, जब वह किसान आंदोलन को खत्म करा देते हैं। ऐसा होने से कैप्टन अमरिंदर सिंह की राष्ट्रीय स्तर पर छवि नए स्तर पर पहुंच जाएगी और वह पहले से अपने साथ खड़े सिख, जाट वोट बैंक के साथ भाजपा के हिंदू वोट बैंक को भी अपने पाले में कर सकेंगे।
चौथा मोर्चा बिगाड़ेगा खेल
अभी तक पंजाब में मोटे तौर पर कांग्रेस, अकाली दल-भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच चुनावी दंगल होता रहा है। लेकिन अब भाजपा-अकाली दल की राह अलह हो चुकी है। कैप्टन से अकाली दल से नाराज ढीढ़सा और ब्रह्मपुरा गुटों के साथ गठबंधन के संकेत दिए हैं। जाहिर है कैप्टन, भाजपा और अकाली दल के नाराज गुटों को एक साथ लेकर चौथा मोर्चा तैयार करना चाहते हैं। जो, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा -अकाली दल गठबंधन को चुनौती दे सके। अगर चौथा मोर्चा बनता है तो पंजाब की कुर्सी की लड़ाई काफी रोचक हो जाएगी । क्योंकि पंजाब की राजनीति में अभी भी कैप्टन अमरिंदर को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। और चौथा मोर्चा बनने से उनके पास मजबूत कैडर होगा।