- भाजपा 350 सीटों के लिए 60 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
- 2017 में BJP को करीब 40 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में 20 फीसदी वोट बढ़ाना उसके के लिए आसान नहीं होगा।
- भाजपा OBC और दलित मतदाता को भी लुभाने की कोशिश में है। अगले महीने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी होने की संभावना है।
नई दिल्ली: यूपी में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, पार्टियां अपनी चुनावी फॉर्मूला तैयार करने में जुट गई हैं। इसी के तहत पार्टियों के अपने दावे भी शुरू हो गए है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जहां 403 में से 400 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। वहीं पिछली बार 312 सीटें जीत चुकी भारतीय जनता पार्टी इस बार उस रिकॉर्ड को तोड़ने का दावा कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टाइम्स नवभारत के कार्यक्रम में कहा है कि पार्टी इस बार रिकॉर्ड तोड़ेगी और 350 सीटें जीतेंगी। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा 350 सीटें जीतने के लिए क्या रणनीति बन रही है। खास तौर से जब उसके सामने किसान आंदोलन, कोविड की दूसरी लहर के दौरान सामने आई समस्याओं से खड़ी हुई चुनौतियां हैं।
किसान सम्मेलन
2022 के विधान सभा चुनावों में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती किसान आंदोलन हैं। क्योंकि इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश ,किसान आंदोलन का केंद्र बन चुका है। और वहां से करीब 100-120 सीटें ऐसी हैं, जहां पर किसान विरोध पार्टी के लिए समस्या खड़ी कर सकता है। भाजपा ने इस इलाके से 2017 के विधान सभा चुनावों में 90 से ज्यादा सीटें जीतीं थी। और यहां पर जाट और मुस्लिम मतदाता को लुभाने में राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी लगी हुई हैं। इसके अलावा बसपा और भामी आर्मी की आजाद समाज पार्टी भी इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाजपा को 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।
किसानों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पार्टी 18 सितंबर को लखनऊ में किसान सम्मेलन करने जा रही है। इसके तहत राज्य के प्रत्येक जिले से किसानों को बुलाया जा रहा है। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ भी शिरकत कर सकते हैं। हालांकि लखनऊ में भारी बारिश सम्मेलन को तय समय पर कराने में बड़ी अड़चन हो सकती है। पार्टी इस सम्मेलन के जरिए किसानों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करेगी कि तीन कृषि कानून पर जो किसान विरोध कर रहे हैं, वह राजनीतिक आंदोलन है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के लिए जो काम किए गए हैं, उससे ज्यादा अभी तक किसी सरकार ने नहीं किए हैं। किसानों की चुनौती पर भाजपा के एक नेता कहते हैं "देखिए तीन कृषि कानून लाकर हमने कोई गलत काम नहीं किया है। कुछ लोग अपनी राजनीति के लिए किसानों को बरगला रहे हैं, चुनावों में जो किसानों को समझा ले जाएगा, उसका रास्ता साफ हो जाएगा।" पार्टी की लखनऊ की तर्ज पर दूसरे क्षेत्रो में भी ऐसे ही सम्मेलन करने की योजना है।
60 फीसदी वोट हासिल करना लक्ष्य
भाजपा 350 सीटों के लिए 60 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि हमारा लक्ष्य 60 फीसदी वोट हासिल करना है। हम उसी की तैयारी कर रहे हैं। 2017 में अकेले भाजपा को करीब 41 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में 20 फीसदी वोट बढ़ाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। इसी को देखते हुए भाजपा ओबीसी मतदाता और मुस्लिम मतदाताओं को भी लुभाने की कोशिश में है। सूत्रों को अनुसार मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा की आरएसएस मदद कर रहा है। जो कि विधानसभा स्तर के आधार पर रोडमैप बना कर चल रहा है। इसके अलावा 60 से ज्यादा ओबीसी सम्मेलन एक-दो महीने में करना का लक्ष्य है।
सदस्यता अभियान
भाजपा 350 सीटें पाने के लिए सदस्यता अभियान में भी तेजी लाने जा रही है। अभी पार्टी के प्रदेश में करीब 2.5 करोड़ सदस्य हैं। इसमें भी एक करोड़ से ज्यादा की बढ़तोरी का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रदेश में गरीब कल्याण मेला की भी तैयारी है। जिसके जरिए प्रदेश के निवासियों को योगी सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड रखेगी। साथ ही हर स्तर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासक की छवि और कानून-व्यवस्था में सुधार, 9 करोड़ से ज्यादा लोगों के टीकाकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, धारा 370 के हटाने को भी पार्टी बड़ी उपलब्धि के रुप में सबके सामने रखेगी। जाहिर है भाजपा अब चुनावों के लिए मिशन मोड में आ गई है। ऐसे में अब देखना है कि योगी आदित्यनाथ अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते है या नहीं, खैर यह तो 2022 में ही पता चल सकेगा।