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'शराबबंदी में ढील दें नीतीश, पीने-पिलाने कहीं और जा रहे, राजस्व को हो रहा नुकसान'

Updated Nov 13, 2020 | 14:15 IST

नीतीश कुमार ने साल 2016 में राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू कर दिया। शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पीछ नीतीश ने तर्क दिया कि इसके सेवन से व्यक्ति तमाम सारी बीमारियों से ग्रसित होता है।

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भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शराबबंदी में ढील देने की मांग की।
मुख्य बातें
  • बिहार में साल 2016 से लागू है शराब की बिक्री पर प्रतिबंध
  • नीतीश सरकार के इस फैसले से राजस्व को पहुंचता है नुकसान
  • लोग शराब पीने के लिए यूपी, नेपाल, झारखंड की सीमा पर जाते हैं

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराबबंदी कानून में ढील देने की मांग की है। दुबे ने शुक्रवार को कहा कि शराब पीने या पिलाने के शौकीन लोग दूसरे राज्यों या नेपाल में चले जाते हैं इससे राजस्व को नुकसान पहुंचता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इसलिए जरूरी है कि शराबबंदी कानून में संशोधन किया जाए। शराब पीने के लिए लोगों के बाहर जाने से राजस्व को नुकसान पहुंचता है। 

भाजपा सांसद ने अपने ट्वीट में कहा, 'बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि शराबबंदी में कुछ संशोधन करें,क्योंकि जिनको पीना या पिलाना है वे नेपाल, बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ का रास्ता अपनाते हैं। इससे राजस्व की हानि, होटल उद्योग प्रभावित तथा पुलिस, एक्साइज भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।' 

बता दें कि नीतीश कुमार ने साल 2016 में राज्य में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लागू कर दिया। शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए पीछ नीतीश ने तर्क दिया कि इसके सेवन से व्यक्ति तमाम सारी बीमारियों से ग्रसित होता है और उसकी आर्थिक प्रगित भी प्रभावित होती है। नीतीश के इस कदम से राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, राज्य में चोरी छिपे शराब बेचे जाने की भी रिपोर्टें आती रही हैं। 

चुनाव प्रचार के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान ने शराबबंदी को एक घोटाला बताया। चिराग ने आरोप लगाया कि शराबबंदी घोटाले में मुख्यमंत्री नीतीश शामिल हैं। लोजपा नेता ने कहा कि मंत्रियों की मिलीभगत से राज्य में शराब बेची जा रही है और इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को भी है।  
 

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