- दिल्ली पुलिस के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर ने विकास दुबे एनकाउंटर को ठहराया सही
- एनकाउंटर पर सवाल उठाने को बताया अनुचित और निराशाजनक
ब्रजेश बर्मन। एक कुख्यात अपराधी जिसे मैं आतंकवादी कहने से परहेज नहीं करूंगा, उसके पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने पर राजनेता और कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा हंगामा आश्चर्यजनक ही नहीं बल्कि अनुचित भी है। पर सबसे अहम बात ये है कि मैं विकास दुबे को आतंकवादी क्यों कहता हूं। 60 से ज्यादा अपराधों का सरगना विकास दुबे ने जिस योजना और जघन्यता के साथ इतनी बड़ी पुलिस टीम पर हमला किया और 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की, उसका उद्देश्य प्रतिशोध नहीं था, बल्कि पुलिस विभाग और आम जनता में भय और आतंक पैगाम भेजना था। ऐसा पैगाम जैसा कि कश्मीर के इस्लामी आतंकवादी और छत्तीसगढ़ के नक्सली किया करते हैं। विकास दुबे का यह हमला आतंकवाद की परिभाषा के तहत आता है।
राजनेता और अवसरवादी एनजीओ का वह तबका जो कल तक उत्तर प्रदेश शासन को पानी पी पीकर कोस रह थे कि शहीद पुलिसवालों की शहादत का बदला लेने में इतने घंटे क्यों लग रहे हैं। अब वहीं मर्सिया पढ़ पढ़कर इस तरह छाती पीट रहे हैं कि शहादत का दर्जा पुलिस से लेकर विकास दुबे को दे दिया जाना निश्चित है। विकास दुबे जिस एनकाउंटर में मारा गया, उसमें कोई कमी नहीं है, क्योंकि घटनाक्रम कानून द्वारा तयशुदा प्रक्रिया के तहत हुआ है।
ऐसे एनकाउंटर को लेकर कानून और न्यायालय के जो भी निर्देश हैं, उसके सुचारू पालन का लेखा जोखा पुलिस यथासमय अदालत में पेश भी करेगी, यह भी अनिवार्य है। ऐसे में जो लोग अपनी अपनी अदालतें और दुकान खोलकर बैठे हैं, वह निराशाजनक और अनुचित हैं। पुलिस प्रशासन पर इतना अधिक अनुचित दवाब बनाने के पीछे जाने अनजाने उनका या तो ईर्श्या का भाव झलकता है अथवा एक नकारात्मक योजना का।
एनकाउंटर की स्थिति में पुलिस की शक्तियां भारत में काफी कम हैं, विशेषकर यूरोप, अमेरिका आदि देशों की पुलिस की तुलना में। ऐसे में पुलिस को हमेशा तलवार की धार पर चलना पड़ता है। विशेषकर भारत की न्यायपालिका बहुत ही सजग और सक्रिया है और आवश्यकतानुसार नकेल भी कसती रहती हैं। ऐसे में स्वयंभू जज बने फिर रहे राजनेता अफरातफरी फैलाने से बाज आएं तो अच्छा है। क्योंकि उन्हें भी मालूम है जनता को अपराधियों और आतंकवादियों के भय से मुक्त कराना इतना आसान काम भी नहीं है।
बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिस मजबूती के साथ महकमे के साथ खड़ी है, वह सराहनीय है। अपराध नियंत्रण से लेकर अपराधियों को सबक सिखाने और पुलिस के सुदृढीकरण की दिशा में योगी सरकार ने जिस तरह का कार्य किया, वह पूर्व में देखने को कभी नहीं मिला। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस के हाथ मजबूत हुए हैं।
(लेखक दिल्ली पुलिस के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर हैं।)