- अमेरिका की तरह रूस पर भारत के रूख को लेकर ब्रिटेन दबाव नहीं बनाएगा !
- FTA की ओर बढ़ने की दिशा में बोरिस जॉनसन का दौरा बेहद अहम हैं।
- इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में भारत के मेक इन इंडिया विजन को भी मजबूती मिल सकती है।
Boris Johnson in India: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन आज से भारत दौरे पर हैं। दो दिवसीय दौरे के पहले दिन वह गुजरात के अहमदाबाद पहुंच गए हैं। जहां वह इनवेस्टर्स समिट में भाग लेंगे। इसके बाद शुक्रवार को नई दिल्ली में उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी। जॉनसन का भारत दौरा द्विपक्षीय संबंधों से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर भी बेहद अहम है। लेकिन दौरे से पहले एक बात साफ हो गई है कि जॉनसन, रूस को लेकर भारत के रूख और उस पर किसी तरह का उपदेश देने नहीं आ रहे हैं। यानी वह इस बात का कोई दबाव बनाने की कोशिश नहीं करेंगे कि भारत को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए। जिस तरह की कोशिश अमेरिका ने की थी।
इन बातों पर प्रमुख रूप से होगा जोर
बोरिस जॉनसन की इस यात्रा से मुक्त व्यापार समझौते के प्रस्ताव में तेजी आने, हिंद प्रशात क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा मिलने और रक्षा संबंधों के आगे बढ़ने की संभावना है। इस दौरे की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने पीटीआई को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बोरिस जॉनसन की बातचीत हिंद प्रशांत क्षेत्र के हालात पर केन्द्रित रहेगी। इसके अलावा ब्रिटेन भारत को रक्षा निर्माण का केन्द्र बनाने और पीएम मोदी के विजन को साकार करने में अपना सहयोग देने के लिए तैयार है। इसके तहत दोनों देश सैन्य हार्डवेयर के संयुक्त उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण को भी तैयार हैं। जहां तक भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते की बात है तो जॉनसन की यात्रा अगले दौर की बातचीत की राह तैयार करेगी। मुक्त व्यापार दोनों देशों के बीच बातचीत अगले सप्ताह होने वाली है।
यात्रा से पहले क्या बोले जॉनसन
भारत पहुंचने से पहले बुधवार को बोरिस जॉनसन ने कहा 'उनकी दो दिवसीय भारत यात्रा गुजरात से शुरू हो रही है, यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करेगी।' जॉनसन के इस दौरे को इसलिए भी अहम माना जा रहा है कि इसके जरिए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के करीब पहुंचने में मदद मिलेगी। एफटीए पर दोनों देशों के बीच तीसरे दौर की वार्ता अगले सप्ताह शुरू होगी। भारत और ब्रिटेन 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना चाहते हैं। इस दौरे पर जॉनसन की विदेश मंत्री एस.जयशंकर से भी मुलाकत होगी।
यूक्रेन-रूस पर भारत के रूश पर उपदेश नहीं
इस बीच बोरिस जॉनसन की यात्रा से पहले एक अहम खबर यह सामने आई है, कि वह इस दौरे पर रूस को लेकर भारत के रूख पर कोई दबाव नहीं बनाएंगे। पीटीआई के अनुसार एक अधिकारी ने बताया 'जॉनसन किसी तरह का कोई उपदेश देने नहीं आ रहे हैं।' अमेरिकी सहित दूसरे पश्चिमी देशों के दबाव के बीच भारत, रूस-यूक्रेन युद्ध पर रूस को लेकर तटस्थ रूख अपनाता आया है। अमेरिका खास तौर से यह दबाव बना रहा है कि भारत उसके पाले में आ जाए। लेकिन 2+2 वार्ता के दौरान अमेरिका गए विदेश मंत्री एस.जयशंकर के बयान से साफ है कि भारत किसी तरह के दबाव में कोई कदम नहीं उठाएगा। वह अपन हितों को देखते हुए फैसले करेगा।