राष्ट्रवाद में आज बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के खिलाफ झूठे प्रचार और प्रोपेगेंडा की। क्या मोदी की राजनीति का मुकाबला करने में विफल विपक्ष, अब झूठे प्रचार और प्रोपेगेंडा का सहारा ले रहा है ? क्या सरकार को बदनाम करने के लिए सीरियल झूठ बोले जा रहे हैं। क्या बार-बार झूठे आरोप लगाकार विपक्ष देश का नुकसान नहीं कर रहा है। ये सवाल इसलिए क्योंकि कल पीएम मोदी ने एक बड़ी बात कही, पीएम ने कहा भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा और गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। सबसे पहले सुनिए की पीएम मोदी ने क्या कहा, फिर मैं आपका सिलसिलेवार तरीके से विपक्ष के आरोपों के बारे में बताउंगा, और फिर उसका सच क्या है।
आपको एक-एक कर विपक्ष के दावे बताता हूं। सबसे पहले बात अग्निपथ योजना की.. जिसके आने के बाद देशभर में युवाओं को भड़काया गया, खूब हंगामा हुआ.. लेकिन जब ये शांत हो गया तो अब सेना पर भर्ति प्रक्रिया में जाति पूछने का आरोप लगा है। दावा किया गया कि देश में पहली बार सेना भर्ति में जाति पूछा जा रही है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया ''जात न पूछो साधू की लेकिन जात पूछो फौजी की
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि 'मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ गया है.. मोदी जी, आपको "अग्निवीर" बनाना है या "जातिवीर"
जबकि सच ये है कि सेना में हमेशा से जाति पूछी जाती रही है, 2013 में सेना ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था अंतिम संस्कार के लिए उन्हें जाति और धर्म जानने की जरूरत होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर सफाई भी दी।
अग्निवीर पर झूठ के बाद बात GST की, विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि पहली सरकार पहली बार दूध, दही, लस्सी और आटा पर GST लगा रही है।
राहुल गांधी ने तो ट्वीट कर हाई टैक्स, नो जॉब्स
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक को कैसे नष्ट किया जाए, इस पर भाजपा का मास्टरक्लास। इसी ट्वीट में उन्होंने किस-किस चीज पर टैक्स लगाया जा रहा है वो तस्वीर ट्वीट किया
वित्त मंत्री ने GST पर विपक्ष के इस आरोप का भी जवाब दिया, उन्होंने ट्वीट किया
क्या यह पहली बार है जब इस तरह के खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा है? नहीं, राज्य जीएसटी से पहले खाद्य पदार्थों पर टैक्स लेते रहे हैं। अकेले पंजाब ने खरीद कर के रूप में खाद्यान्न पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की। यूपी ने 700 करोड़ का टैक्स लिया । निर्मला सीतारमण ने एक लिस्ट भी जारी की जिसमें बताया गया कि कौन सा राज्य खाने-पीने के किस सामान पर कितना टैक्स लेता था।
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संसद में असंसदीय भाषा की नई डिक्शनरी आई तो विपक्ष ने उस पर भी झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिया,
राहुल गांधी ने एक तस्वीर ट्वीट की.. जिसमें लिखा था कि चर्चा और डिबेट में इस्तेमाल होने वाले शब्द जो पीएम के सरकार को चलाने का सही वर्णन करते हैं, अब प्रतिबंधित हैं।
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प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया- सरकार की मंशा है कि जब वो भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को 'मास्टरस्ट्रोक' बोला जाए।
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वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा.. "अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या?
सिर्फ़, वाह मोदी जी वाह !" यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नज़र आ रही है!
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विपक्ष के बड़े-बड़े नेता ने दावा किया, सरकार विपक्ष का मुंह बंद करना चाहती है।
जबकि सच ये है कि 1954 से असंसदीय भाषा की डिक्शनरी बनती आ रही है। लोकसभा अध्यक्ष ने भी साफ किया कोई भी कुछ भी बोल सकता है। किसी को बोलने से या किसी शब्द के इस्तेमाल से नहीं रोका गया है
इतना ही नहीं विपक्ष देश पर बढ़ रहे कर्जे पर भी सरकार को रोज घेरता है। आज लोकसभा में कांग्रेस ने देश पर बढ़ रहे कर्जे पर प्रदर्शन भी किया।
संसद के अंदर प्ले कार्ड लहराए, दावा किया कि कांग्रेस शासनकाल में कर्ज की रकम 56 लाख करोड़ रुपए थी, जो बीजेपी बीजेपी के शासनकाल में 139 लाख करोड़ रुपए हो गई।
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जबकि सच्चाई ये है कि 2006 -2013 के बीच जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो देश पर 270 बिलियन डॉलर का कर्ज था और 2014 -2021 के बीच जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तो 160 बिलियन डॉलर का कर्ज है।
आज राष्ट्रवाद में सवाल है-
- - विपक्ष का एजेंडा, मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा ?
- - क्या अपने ही 'झूठ' के चक्र में फंसा गया है विपक्ष ?
- - नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के कितने 'झूठे' प्रचार ?
- - 'झूठे आरोपों' से करेंगे मोदी की सियासत का मुकाबला ?
- - नरेंद्र मोदी को 'झूठ' से हराएगा विपक्ष ?