- पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी की खबरों को केंद्र सरकार ने खारिज किया है
- सरकार ने नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जताई
- केंद्र की ओर से कहा गया कि यह भारतीय लोकतंत्र की छवि धूमिल करने का प्रयास है
नई दिल्ली : इजरायली कंपनी की ओर से तैयार जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के माध्यम से देश में पत्रकारों व अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की जासूसी की मीडिया रिपोर्ट का भारत सरकार ने खंडन किया है। भारत सरकार ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। भारत अपने नागरिकों के निजता के अधिकारों की रक्षा करने को प्रतिबद्ध है।
पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी की खबरों को लेकर उठे सवालों पर सूचना एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी डॉ. राजेंद्र कुमार ने रविवार की रात केंद्र सरकार का पक्ष रखा है। उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बताया है कि देश में इंटरसेप्शन के लिए पहले से स्थापित सख्त प्रोटोकॉल है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में ही केंद्र या राज्य सरकार की एजेंसियों सर्विलांस सिस्टम का इस्तेमाल करतीं हैं। इसकी उच्चस्तरीय निगरानी होती है। देश के सूचना एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री पहले ही संसद में बोल चुके हैं कि देश में अवैध रूप से सर्विलांस की कोई घटना नहीं हुई है।
'सर्विलांस की बातें निराधार'
केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ विशेष लोगों की गवर्नमेंट सर्विलांस की बात का कोई आधार नहीं है। पूर्व में भी वाट्सअप को पेगासस से हैक करने के संबंध में आरोप लग चुके हैं, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। भारतीय लोकतंत्र की छवि धूमिल करने के लिए खबरें गढ़ी जा रही हैं।
केंद्र सरकार ने बताया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत एजेंसियों की ओर से सर्विलांस किया जाता है। यह कार्रवाई इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5(2) और आईटी (अमेंडमेंट) एक्ट 2000 के सेक्शन 69 के तहत होता है। इस तरह के मामलों की निगरानी केंद्र में गृह सचिव करते हैं और राज्यों में अन्य सक्षम अधिकारी। आईटी रूल्स 2009 के तहत निगरानी होती है।
केंद्र ने कहा है कि भारत जनता के निजता के अधिकार की रक्षा करना के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 और आईटी रूल्स 2021 का आधार तैयार कर सोशल मीडिया यूजर्स की प्राइवेसी को और मजबूत बनाने की दिशा में कार्य हो रहा है।