Child Covid vaccination : यूरोप इजराइल अमेरिका समेत अधिकांश विकसित देशों में बच्चों का टीकाकरण शुरू हो चुका है। भारत में भी जाइडर्स कैडिला और भारत बायोटेक की वैक्सीन को अप्रूवल मिल चुका है लेकिन फिर भी यह सभी वैक्सीन इमरजेंसी यूज ओनली के तहत अनुमति प्राप्त है। यानी आपातकाल में ही टीकाकरण संभव है, जैसे करोना महामारी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बच्चों के टीकाकरण के लिए आपातकाल वाकई है।
किसी भी वैक्सीन कि 2 बुनियादी काम होते हैं, खासतौर पर जब कोविड-19 महामारी की बात करें। पहला क्या वैक्सीन संक्रमण की चक्र को तोड़ या रोक सकती है ? और दूसरा क्या वैक्सीन गंभीरता या मृत्यु दर में कमी ला सकती है? जहां तक पहले सवाल का जवाब है। वह लगभग तय हो चुका है कि टीकाकरण के बावजूद ओमिक्रॉन जैसा म्यूटेशन नहीं रूक सकता, क्योंकि जहां दिल्ली में देश के सबसे ज्यादा नए म्यूटेशन के मामले हैं वहीं यह भी साबित हुआ है कि अधिकांश मामले विदेशों से यात्रा करके आए लोगों या उनके करीबियों में है, जबकि विदेश यात्रा के लिए संपूर्ण टीकाकरण अनिवार्य है। इससे साफ हो जाता है कि टीकाकरण के बावजूद संक्रमण फैल रहा।
डॉ ऋतु सक्सैना, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, एलएनजेपी हॉस्पिटल (दिल्ली का एकमात्र ओमीक्रोन डेडीकेटेड हॉस्पिटल) जिसमें डॉ जीतू ने कहा है कि एलएनजेपी में ज्यादातर मरीज विदेश से आए लोग हैं, जिनका टीकाकरण यहां तक कि बूस्टर डोज भी लगाई गई थी, फिर भी उनके अंदर ओमिक्रॉन इंफेक्शन देखने को मिला।
अब बात करें हमारे दूसरे सवाल पर कि क्या बच्चों के टीकाकरण से मृत्यु दर गंभीरता में कमी आएगी? अगर दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल को ही एक पैमाने के तौर पर लिया जाए जो दिल्ली का सबसे बड़ा कोविड-19 डेडीकेटेड हॉस्पिटल है। जब दिल्ली में महामारी की दूसरी लहर डेल्टा म्यूटेशन के जरिए आई तब भी किसी स्वस्थ बच्चे की मृत्यु केवल कोविड-19 के कारण नहीं हुई थी। इसमें सबसे बड़ी बात है कि डेल्टा म्यूटेशन मौजूदा ओमिक्रोन से ज्यादा जानलेवा था। यहां तक की सिरो सर्वें में भी दिल्ली के करीब 80% बच्चों इसी डेल्टा म्युटेशन के समय संक्रमित पाऐ गये थे। डॉ संजय राय, कोविड वैक्सीन ट्रालय हैड, एम्स (इसकी अध्यक्षता में बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल हुआ था)
हालाकि 15 से 18 वर्षों के बच्चों को वयस्कों में ज्यादा अंतर नहीं होता और कोमॉबिड कंडीशन में बच्चों की इम्युनिटी भी वीक हो जाती है। ऐसे में वैक्सीन की जरुरत से इनकार नहीं किया जा सकता है , लेकिन अभी बच्चों पर वैक्सीन के लम्बे समय के असर पर भी शोध बाकी है।