- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु , गुजरात , छत्तीसगढ़ बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के सबसे मामले दर्ज हुए हैं।
- बच्चों से यौन शोषण के मामले में 96 फीसदी लोग परिचित लोग होते हैंं।
- हाल ही में सीबीआई ने यौन उत्पीड़न को लेकर देश भर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है।
नई दिल्ली: बीते मंगलवार (16 नवंबर) को बाल यौन शोषण मामले में सीबीआई ने 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 77 से ज्यादा शहरों में छापेमारी की। जिसके बाद अलग-अलग शहरों से 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया। और उसके दो दिन बाद 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बाल यौन शोषण पर स्किन-टू-स्किन टच को लेकर अहम फैसला दिया। उसने मुंबई हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें यह कह गया था कि यदि आरोपी और पीड़ित के बीच स्किन -टू स्किन- टच नहीं हुआ है, तो पॉक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि यौन अपराध में सबसे अहम बात मंशा है, न कि स्किन टच। बाल यौन शोषण के ये दो मामले ऐसे हैं, जिससे साफ है कि बच्चों के प्रति यौन शोषण के अपराध बढ़ रहे हैं और उसे रोकने के लिए नए सोच की जरूरत है।
6 साल में तीन गुना बढ़े मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों को अगर देखा जाय, तो बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। साल 2015 में पॉस्को एक्ट के तहत 8695 मामले दर्ज किए गए थे। जो कि 2019 में 26,497 और 2020 में 28,327 पहुंच गया। यानी पिछले 6 साल में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में तीन गुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान उम्र वर्ग में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामले सामने आए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा 12-18 उम्र के बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए हैं। प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट को 2012 में बच्चों के प्रति यौन यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था।
परिचितों ने सबसे ज्यादा बनाया शिकार
रिपोर्ट के अनुसार बच्चों का सबसे ज्यादा यौन शोषण, उनके परिचितों के जरिए किया गया है। 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 28065 मामलों में से केवल 1131 मामले ऐसे थे, जिसमें बच्चों का यौन शोषण किसी अपरिचित व्यक्ति द्वारा किया गया। यानी 96 फीसदी मामले ऐसे रहे, जहां पर बच्चों का यौन शोषण उनके दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी , परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया है।
चाइल्ड सैक्सुअल एब्यूज मैटेरियल (Child Sexual abuse matrial) की मांग बढ़ी
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार , भारत में Child Sexual abuse matrial की हर महीने ऑनलाइन 50 लाख कंटेट की डिमांड 100 शहरों से है। रिपोर्ट के अनुसर इस तरह के कंटेट इस्तेमाल करने वाले यूजर में 90 फीसदी पुरूष हैं। रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर लोग वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) के जरिए इस तरह के कंटेट देख रहे हैं। सीबीआई की कार्रवाई में 50 से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप उसके रडार पर थे। जांच में करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों के नाम सामने आए, जो कि बाल यौन शोषण से जुड़ी सामग्री का सोशल मीडिया पर प्रसार कर रहे हैं।
इन राज्यों में यौन अपराध सबसे ज्यादा
बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों को देखा जाय तो 2020 में सबसे ज्यादा मामले मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु , गुजरात , छत्तीसगढ़ में सामने आए हैं। जाहिर है भारत में तेजी से बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं।