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Mt Everest: नेपाल और चीन मिलकर नाप रहे हैं माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई, वजह जानकर आपको भी होगी हैरानी

Updated Sep 17, 2020 | 15:06 IST

दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी के नाम से विख्यात माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को एक बार फिर से मापा जा रहा है। यह कार्य चीन और नेपाल दोनों मिलकर कर रहे हैं।

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जानिए क्यों नेपाल और चीन मिलकर नाप रहे हैं एवरेस्ट की ऊंचाई?
मुख्य बातें
  • 1955 में किए गए एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण के आधार पर, एवरेस्ट के शिखर की ऊँचाई को 8,848 मीटर सूचीबद्ध है
  • नेपाल और चीन को लेकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पर असहमति है
  • पिछले साल दोनों देशों ने एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से मापने और संयुक्त रूप से निष्कर्षों की घोषणा की थी

नई दिल्ली: आपसे भी कभी सामान्य ज्ञान यानि जनरल नॉलेज के सवाल के रूप में पूछा गया होगा कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई कितनी है, और आपका रटा रटाया जवाब होगा 8848 मीटर। लेकिन जल्द ही उत्तर आपका गलत साबित होने वाला है। जी हां आपने सही सुना, दरअसल माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई अब किसी भी समय बदलने वाली है और दो पड़ोसी देश चीन और नेपाल इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

चीन और जापान ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को फिर से मापने के लिए हाथ मिलाया है और 2019 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, संबंधित टीमों को एक साथ अपने निष्कर्षों की घोषणा करनी है। वास्तव में, घोषणा की उम्मीद पहले से की जा रही थी लेकिन COVID-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई है। जहां चीन ने इस वर्ष मई में अपने सर्वेक्षणकर्ताओं की टीम भेजी थी वहीं, नेपाल का अभियान 2019 में हुआ था।

1955 में मापी गई थी चोटी

 अपेक्षित घोषणा पर भूगर्भीय वैज्ञानिरों के साथ-साथ पर्वतारोहण समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं जो इस तरह के घटनाक्रमों पर विशेष नजर रखते हैं। कई दशकों बाद अब नई ऊंचाई के सामने की जल्द उम्मीद है। 1955 में किए गए एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण के आधार पर, एवरेस्ट के शिखर की ऊँचाई को 8,848 मीटर या 29,029 फीट के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। तब यह शिखर को मापने का सबसे सटीक माप था।

1955 का मानक अभी भी अधिकांश देशों को मान्य

 लगभग 15 साल पहले, एक चीनी अभियान दल ने फिर से चोटी को मापा। उनके निष्कर्ष के अनुसार तब इसकी ऊंचाई 8844.43 मीटर यानि 29,017.16 फीट मापी गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह चट्टान के आधार पर था जो एवरेस्ट की चोटी पर स्थित है। बर्फ पड़ने के बाद यह कुछ और मीटर बढ़ जाती है। हालांकि, 1955 के माप को अभी भी अधिकांश देशों द्वारा मानक माना जाता है।

तो एक और माप करने की आवश्यकता क्यों पड़ी
नेपाल और चीन के बीच पर्वत की ऊंचाई पर कई समय से असहमति है।  2010 में आखिर चीन ने नेपाल के दावे को मानते हुए पर्वत की ऊँचाई (8,848 मीटर) की स्थिति स्वीकार कर ली,  और दूसरी तफ नेपाल ने भी चीन के चट्टान की ऊँचाई 8,844.43 मीटर होने के दावे को स्वीकार कर लिया। पिछले साल दोनों देशों ने एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से मापने और संयुक्त रूप से निष्कर्षों की घोषणा करने के लिए सहमति व्यक्त की ताकि इस मुद्दे को अगले कुछ दशकों तक विराम दिखा जा सके।

2015 का भूकंप
एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से मापने का एक और कारण 2015 में नेपाल में आया विनाशकारी भूकंप है। हम जानते हैं कि भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों की शिफ्टिंग के कारण आते हैं और शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि इस वजह से पर्वत की ऊंचाई पर भी प्रभाव पड़ सकता है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार बड़ी तीव्रता वाले इस भूकंप की वजह से एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव हो सकता है।

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