- चीन ने एक बार फिर लद्दाख को लेकर दिया आपत्तिजनक बयान
- चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा- लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देते
- तनाव कम करने के लिए दोनों देश लगातार कर हैं बैठक
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच पिछले कई महीनों से तनाव चल रहा है जिसे कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सोमवार को जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा के नजदीक 44 नए ब्रिज खोले तो उससे चीन और बौखला गया है और उसकी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि वह वह लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देते हैं और इसे भारत ने अवैध रूप से स्थापित किया है।
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान
चीन विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य का भी विरोध करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास को "दोनों पक्षों के बीच तनाव का मूल कारण" बताया और कहा कि किसी को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे तनाव और बढ़े। झाओे ने भारत की तरफ से लद्दाख क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश में आठ-आठ ब्रिज शुरू करने को लेकर यह प्रतिक्रिया दी।
चीनी प्रवक्ता ने कहा 'सबसे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि चीन अवैध रूप से केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता है। सहमति के आधार पर किसी भी पक्ष में सीमा के आसपास ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे तनाव बढ़े।
इस कदम से बौखलाहट में है चीन
आपको बता दें कि सोमवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमाओं के करीब संवेदनशील क्षेत्रों में सड़कों और पुलों की कनेक्टिविटी में एक नए युग में शुरुआत करते हुए 44 प्रमुख स्थायी पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया था। ये पुल रणनीतिक महत्व के हैं और दूरदराज के क्षेत्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। ये 44 पुल सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।
इस दौरान राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग की सड़क पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नेचिपु सुरंग की आधारशिला भी रखी। यह 450 मीटर लंबी, दो लेनों वाली सुरंग नेचिपु पास में सभी मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी।