- भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच आज सातवें दौर की वार्ती हो रही है
- चीन की कथनी और करनी में अंतर, पैंगोंग त्सो इलाके से जाने की उसकी मंशा नहीं
- गलवान घाटी की हिंसा के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं
नई दिल्ली : चीन पर भरोसा करना खुद को धोखा देने जैसा है। दरअसल, उसकी कथनी-करनी में कोई मेल नहीं है। सीमा पर बने तनावपूर्ण हालात में कमी लाने की बात तो वह करता है लेकिन सीमा पर उसकी गतिविधियां संदेह प्रकट करती हैं। पूर्वी लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए सोमवार को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच सातवें दौर की बातचीत होनी है लेकिन चीन की तरफ से तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई की जा रही है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी हिस्से में अपनी नई सैन्य टुकड़ी भेजना शुरू कर दिया है। जाहिर है कि पीएलए की यह गतिविधि दर्शाती है कि उसकी मंशा इस इलाके में फिलहाल पीछे हटने की नहीं है।
अतिरिक्त ब्रिगेड की तैनाती
रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य कमांडरों का कहना है कि फिंगर फोर की ऊंचाई पर सैनिकों की नई टुकड़ी तैनात करने के लिए पीएलए ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी हिस्से में एक अतिरिक्त ब्रिगेड की तैनाती की है। चीन की मंशा यहां अपने सैनिकों मनोबल ऊंचा रखने की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'पूर्वी लद्दाख के फिंगर-4 इलाके में भारत और चीन दोनों ने करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर अपनी सेना तैनात की है। अब मौसम खराब होने लगा है, इसे देखते हुए पीएलए यहां से अपने 200 नए सैनिकों को पहुंचा रहा है ताकि अग्रिम मोर्चे पर तैनात उसके सैनिक खुद को तरोताजा और प्रेरित महसूस करें।'
चीन की मंशा ठीक नहीं
भारत का भी मानना है कि सीमा पर सैनिकों की वापसी की पहल एक लंबी प्रक्रिया से गुजरेगी। सेना का मानना है कि भारत यदि अपने सैनिकों को पीछे हटाता है तो उन जगहों पर पीएलए के सैनिक आ जाएंगे। इसलिए भारत अपने नियंत्रण वाले ऊंचाइयों को छोड़ने के पक्ष में नहीं है। आने वाले कुछ दिनों में यहां भयंकर सर्दी पड़ने लगेगी। पारा शून्य से 40 डिग्री नीचे तक चला जाएगा। यहां खराब मौसम में बने रहने की भारत ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। चीन के सैनिकों के लिए इतनी ऊंचाई और सर्दी में रहने की आदत नहीं है।
पीएलए को सर्दी का खौफ
पीएलए को सर्दी का खौफ सता रहा है। अप्रैल-मई महीने में पीएलए ने जब अतिक्रमण किया तो उसकी यह सोच रही कि भारत इस संघर्ष को ज्यादा समय तक नहीं खींचेगा और एलएसी पर उसके इस नए दावों को मान जाएगा लेकिन भारत ने इस बार अपने मजबूत इरादों से पीएलओ को परिचित करा दिया है कि वह पीछे हटने वाला नहीं है।