- सिक्किम के उत्तरी क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुआ है टकराव
- गत 5 मई को दोनों तरफ से हुई पत्थरबाजी में भारत और चीन के जवान हुए चोटिल
- भारत पर दबाव बनाने के लिए रणनीति के तहत सीमा का अतिक्रमण करता है चीन
सीमा पर भारत का चीनी सैनिकों से एक बार फिर आमना-सामना हुआ है। यह कोई नई बात नहीं है। समय-समय पर पीएलए के सैनिकों के साथ भारतीय जवानों का सीमा पर नोकझोंक एवं टकराव की स्थिति पहले भी बनती आई है लेकिन इस बार यह संघर्ष कुछ ज्यादा शारीरिक हो गया। इस बार स्थिति हाथा-पाई तक पहुंच गई। बताया जा रहा है कि इस टकराव में दोनों तरफ के सैनिकों को चोटें आई हैं। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो गत पांच मई को सिक्किम के समीप नाकु-ला इलाके में चीन के कुछ सैनिक आ गए थे जिसका भारतीय सैनिकों ने विरोध किया। बताया गया कि कुछ ही समय में दोनों तरफ सैकड़ों की संख्या में अतिरिक्त जवान जुट गए और दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई जिसमें दोनों तरफ के जवान जख्मी हुए।
डोकलाम में 72 दिनों तक चला था गतिरोध
चीन और भारत के बीच करीब चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। दोनों देशों के बीच कई जगहों पर सीमांकन नहीं हुआ है जिसके चलते दोनों देशों के गश्ती जवान एक-दूसरे के क्षेत्र में दाखिल होते रहे हैं। टकराव की स्थिति बनने पर दोनों देश के अधिकारी समझबूझ का परिचय देते हुए संघर्ष को टालते रहे हैं लेकिन कभी-कभी स्थितियां जटिल हो जाती हैं जैसे कि 2017 में डोकलाम में देखने को मिला। डोकलाम में दोनों देशों के बीच 72 दिनों तक गतिरोध चला। दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने डंट गई थीं जो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थीं।
भारत के सख्त इरादे देख पीछे हटा चीन
डोकलाम में चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए अपनी ताकत का खूब प्रोपगैंडा चलाया। वह चाहता था कि भारत डोकलाम में पीछे हट जाए और वह सड़क बनाने का अपना काम पूरा कर ले लेकिन अपने स्टैंड से नई दिल्ली टस से मस नहीं हुई। भारत के सख्त रवैये और अडिग इरादे को देखते हुए चीन सैनिकों को पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ा। यहां स्थिति काफी जटिल हो गई थी लेकिन उच्च स्तर पर कूटनीतिक प्रयासों के बाद इस टकराव को टाला जा सका।
जानबूझकर भारतीय क्षेत्र का अतिक्रमण करते हैं चीनी सैनिक
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने वाले चीनी सैनिक जानबूझकर भारतीय इलाके का अतिक्रमण करते हैं। चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश सहित सिक्किम के उत्तरी हिस्से में स्थित दर्रे पर अपना दावा करता आया है। कोई बार उसके सैनिक भारतीय इलाके में दाखिल होकर अपना टेंट लगा देते हैं तो कई बार अपनी चीजें छोड़कर चले जाते हैं। ऐसा करने का उनका मकसद इलाके में अपना दावा करना होता है। भारत सरकार उनकी यह चाल समझती है। दूसरे की सीमा में अतिक्रमण चीन की विस्तारवादी एवं साम्राज्यवादी नीति का हिस्सा है। उसकी इस नीति से उसके सभी पड़ोसी देश परेशान हैं। दक्षिण चीन सागर हो, हांगकांग हो या वियतनाम चीन अपनी दबंगई से सबको डराता रहता है लेकिन ये सभी देश उसके खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं।
एशिया में ध्यान भटकाने की कोशिश
कोविड-19 को लेकर चीन दुनिया के निशाने पर हैं। इस महामारी के फैलाव पर दुनिया के देश उससे सवाल कर रहे हैं। ऐसे में वह दबाव में है। कोविड-19 के संकट पर दक्षिण एशिया और एशिया के देश उसके खिलाफ कोई मुहिम न शुरू करें इसके लिए चीन पहले से इन देशों पर दबाव बनाने की कोशिशों में जुटा है। एशिया में भारत ही एकलौता देश है जो उसके वर्चस्व को चुनौती देता रहा है। चीन यह जानता है कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर कोविड-19 के बारे में भारत यदि कोई बात कहेगा तो दुनिया उस पर गौर करेगी।
भारत पर दबाव बनाना चाहता है चीन
चीन नहीं चाहेगा कि कोविड-19 पर बन रहे माहौल को भारत का साथ मिले। इसलिए वह सीमा पर तनाव बढ़ाकर भारत पर एक तरह से दबाव बनाना चाहता है। उसकी कोशिश भारत पर एक मानसिक दबाव बनाने की है लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत बदल चुका है। उसे इसका नजारा डोकलाम में देखने को मिला है। उसे समझना होगा कि दबाव की रणनीति से निपटना भारत ने सीख लिया है। भारत अब 1962 वाला देश नहीं है, वह अपने हितों की रक्षा करने के लिए अब किसी चुनौती का सामना करने और विरोधी को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है।