- नागरिकता संशोधन कानून पर देश के अलग अलग इलाकों में हो रहा है बवाल
- ज्यादातर लोगों को कानून के बारे में जानकारी नहीं, सुप्रीम कोर्ट को एक याची ने दी थी जानकारी
- अफवाहों पर काबू पाने के लिए सीएए पर फैक्टशीट जारी
नई दिल्ली। नागरिकता संसोधन कानून पर शहर दर शहर बवाल हो रहा है। इस कानून के संबंध में जब लोगों से दरयाफ्त की गई को पाया गया कि ज्यादातर लोगों को कानून के बारे में जानकारी नहीं है। अल्पसंख्यक खासतौर पर मुस्लिम समाज के लोगों को लगता है कि उन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा।
इस संबंध में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ 59 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। अदालत ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा।इन सबके बीच अश्विनी उपाध्याय ने अदालत से कहा कि वो जामिया इलाके में घूम रहे थे, उन्हें हैरानी हुई कि ज्यादातर लोगों को कानून के बारे में जानकारी नहीं है और वो लोग अफवाह का शिकार हो जा रहे हैं।
सवाल नंबर 1- क्या सीएए में एनआरसी निहित है ?
जवाब- ऐसा नहीं है, सीएए अलग कानून है, जबकि एनआरसी प्रक्रिया है। संसद से पारित होने के बाद सीएए देशभर में लागू हो चुका है, जबकि पूरे देश के लिए एनआरसी प्रक्रिया और नियम अभी तय होना बाकी है। असम में एनआरसी की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशन में चल रही है।
सवाल नंबर 2- क्या भारतीय मुसलमानों को सीएए और एनआरसी को लेकर किसी प्रकार से परेशान होने की जरूरत है।
जवाब- किसी भी धर्म को मानने वाले भारतीय नागरिकों को सीएए या एनआरसी से परेशान होने की जरूरत नहीं है।
सवाल नंबर 3- क्या एनआरसी सिर्फ मुस्लिमों के लिए होगा।
जवाब- इसका जवाब ना में है, इसका किसी भी धर्म से लेना देना नहीं है। यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा। यह नागरिकों का रजिस्टर है, जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा।
सवाल नंबर 4- क्या एनआरसी में धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा।
जवाब- नहीं, एनआरसी किसी धर्म के बारे में नहीं है, जब एनआरसी लागू किया जाएगा को वह न धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और न ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है। किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वो किसी खास धर्म को मानने वाला है।