नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित हो गया है। बुधवार को राज्यसभा ने बिल को मंजूरी दी, इससे पहले सोमवार को बिल लोकसभा से पारित हो गया था। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। इस बिल के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के धार्मिक प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। बिल में इन तीनों देशों से धार्मिक प्रताड़िता हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
राज्यसभा से बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया, 'भारत और हमारे देश की करुणा और भाईचारे के लिए एक ऐतिहासिक दिन! खुशी है कि CAB 2019 को राज्यसभा में पारित किया गया है। सभी सांसदों का आभार जिन्होंने विधेयक के पक्ष में मतदान किया। यह विधेयक कई लोगों की पीड़ा को दूर करेगा जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न का सामना किया।'
वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, 'संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पारित होते ही करोड़ों वंचितों और पीड़ितों के सपने आज साकार हो गए हैं। इन प्रभावित लोगों के लिए गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी जी का आभारी हूं। मैं सभी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।'
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिल पारित होने के बाद इसे भारत के संवैधानिक इतिहास का काला दिन कहा। उन्होंने कहा कि यह उस भारत की सोच को चुनौती है जिसके लिए राष्ट्र निर्माता लड़े थे। नागरिकता संशोधन विधेयक का पारित होना तुच्छ सोच वाली और कट्टर ताकतों की भारत के बहुलवाद पर जीत है।
विपक्ष ने ये कहकर इस बिल का विरोध किया कि ये मुसलमानों के खिलाफ है। बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है। इसके जवाब में राज्यसभा में अमित शाह ने कहा, 'यह विधेयक किसी की भावनाओं को आहत करने या किसी भी समुदाय के लोगों को परेशान करने वाला नहीं है। जो लोग चिंतित हैं कि इस देश के अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होगा, ऐसा नहीं होगा।'
उन्होंने कहा कि इसमें किसी की नागरिकता लेने नहीं, देने का प्रावधान है। देश के मुस्लिम नागरिकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता।