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Code on Wages 2019: 66 मीटर कपड़ा, 27 सौ कैलोरी भोजन; न्यूनतम वेतन का जानिए नया सरकारी फॉर्मूला

Updated Aug 12, 2020 | 19:29 IST

Code on Wages 2019: मजदूरी संहिता अधिनियम 2019 के प्रस्तावित मसौदे में दैनिक आधार पर न्यूनतम मजदूरी तय करने का फॉर्मूला बताया गया है। इसमें पति, पत्नी और उनके दो बच्चों को एक श्रमिक परिवार का मानक माना गया है।

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जानिए कैसे होगी न्यूतनम मजदूरी की गणना
मुख्य बातें
  • अगस्त 2019 में मजदूरी संहिता अधिनियम को संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया था
  • कानून बनने के बाद देश में लगभग 50 करोड़ कामगारों को लाभ पहुंचने की बात

नई दिल्ली: केंद्र सरकार, पिछले वर्ष पास हुए मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल) 2019 को कानून का रूप देने में जुटी है। केंद्र सरकार ने 24 अगस्त तक प्रस्तावित कानून पर सुझाव और आपत्तियां लोगों से उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इस प्रकार अभी 12 दिन और सुझाव लिए जाएंगे। सरकार ने इस मसौदे में दैनिक आधार पर न्यूनतम वेतन तय करने का खास फॉर्मूला निकाला है। न्यूनतम मजदूरी से जुड़े कानून के धरातल पर उतरने के बाद देश में लगभग 50 करोड़ कामगारों को लाभ पहुंचने की बात कही जा रही है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के एक अधिकारी ने IANS से कहा, सुझाव और आपत्तियों को लेने के बाद सरकार मेरिट के आधार पर उन पर विचार करेगी। अगर किसी हितधारक को आपत्तियां और सुझाव देना हो तो वो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, श्रम शक्ति भवन, रफी मार्ग, नई दिल्ली में उप निदेशक एमए खान, सहायक निदेशक रचना को उपलब्ध करा सकते हैं।

ऐसे होगी न्यूतनम मजदूरी की गणना

मजदूरी संहिता अधिनियम 2019 के प्रस्तावित मसौदे में दैनिक आधार पर न्यूनतम मजदूरी तय करने का फॉर्मूला बताया गया है। इसमें पति, पत्नी और उनके दो बच्चों को एक श्रमिक परिवार का मानक माना गया है। इसमें प्रतिदिन एक सदस्य पर 27 सौ कैलोरी भोजन की खपत, एक वर्ष में 66 मीटर कपड़े का इस्तेमाल, भोजन और कपड़ों पर खर्च का कुल दस प्रतिशत आवासीय किराये पर व्यय आने का अनुमान लगाया गया है।

वहीं ईंधन, बिजली और अन्य मदें, न्यूनतम मजदूरी की 20 प्रतिशत होंगी। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा का खर्च, चिकित्सा आवश्यकताएं, मनोरंजन और अन्य आकस्मिक व्यय को न्यूनतम मजदूरी का 25 प्रतिशत बताया गया है। इन सब के आधार पर न्यूनतम मजदूरी और वेतन की गणना होगी। प्रस्तावित मसौदे में कहा गया है कि वेतन संहिता की धारा 6 के तहत मजदूरी की न्यूनतम दर तय करते समय केंद्र सरकार संबंधित भौगोलिक क्षेत्र को तीन वर्गों मेट्रोपोलिटन, गैर-मेट्रोपोलिटन और ग्रामीण क्षेत्र में विभाजित करेगी।

क्या है वेतन संहिता अधिनियम?

अगस्त 2019 में मजदूरी संहिता अधिनियम को संसद के दोनों सदनों ने पास कर दिया था। इस साल जुलाई में इसके मसौदे को प्रकाशित कर 24 अगस्त 2020 तक सुझाव और आपत्तियों को आमंत्रित किया गया है। यह अधिनियम कामगारों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी देता है। खास बात है कि पिछले साल केंद्र सरकार ने इस बिल को श्रम सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम बताकर पास कराया था। कुल चार कानूनों का स्थान ये एक कानून लेगा। न्यूनतम मजदूरी कानून 1948, मजदूरी भुगतान कानून 1936, बोनस भुगतान कानून 1965, समान पारितोषिक कानून 1976 की जगह पर ये मजदूरी संहिता बन रही है।

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