- गुजरात चुनाव के पहले हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
- ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आर.पी.एन.सिंह, हिमंत बिस्वा सरमा जैसे युवा नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।
- पार्टी में मौजूद कई नेता अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी आशंका जता रहे हैं।
Congress Crisis and President Election: कांग्रेस में करीब 5 दशक तक रहने वाले गुलाम नबी आजाद के पार्टी से इस्तीफे ने भूचाल ला दिया है। वह सीधे राहुल गांधी पर हमला कर रहे हैं। उनका दावा है कि राहुल की वजह से आज पार्टी की ये हालत है। आजाद के हमले से बौखलाएं कांग्रेस के कई नेता और राहुल के करीबी, अब आजाद पर हमला कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनको पार्टी ने सब कुछ दिया और जब पार्टी को ज्यादा जरूरत थी तो वह छोड़कर चले गए। आजाद कोई इकलौते नेता नहीं है जिन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ा है।
पार्टी छोड़कर जाने वाले ज्यादातर नेताओं का यही कहना है कि अब उनका पार्टी में सम्मान नहीं है। और उनकी कोई सुनता नहीं है। उनके इस दावे पर कांग्रेस नेताओं का दावा है कि सीनियर नेता ही ऐसी कह रहे हैं। लेकिन अगर पार्टी छोड़ने वालों की लिस्ट देखी जाय तो इसमें केवल आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता शामिल नहीं हैं। उसमें युवा नेताओं की भी लिस्ट लंबी है।
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राहुल की बिखर गई युवा ब्रिगेड
अगर कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लिस्ट को देखा जाय तो उसमें कई बड़े युवा नेता हैं। जिन्हें राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड कहा जाता था। और उन्होंने पार्टी का साथ छोड़ दिया। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे प्रमुख नाम है। जो साल 2020 भाजपा में शामिल हो गए और अभी केंद्र सरकार में मंत्री है। उनकी तरह जितिन प्रसाद भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वह भी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के पहले पूर्वांचल के प्रमुख नेता आर.पी.एन.सिंह ने भाजपा और पश्चिमी यूपी के नेता इमरान मसूद ने सपा का दामन थाम लिया था। इसी तरह प्रियंका चतुर्वेदी शिव सेना में शामिल हो चुकी हैं। गुजरात चुनाव के पहले हार्दिक पटेल भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। और हाल ही पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भी पार्टी से नाता तोड़ लिया।
युवा नेता | साल | किस पार्टी में शामिल हुए |
जयवीर शेरगिल | 2022 | - |
आर.पी.एन.सिंह | 2022 | भाजपा |
इमरान मसूद | 2022 | सपा |
हार्दिक पटेल | 2022 | भाजपा |
जितिन प्रसाद | 2021 | भाजपा |
सुष्मिता देव | 2021 | तृणमूल कांग्रेस |
ज्योतिरादित्य सिंधिया | 2020 | भाजपा |
प्रियंका चतुर्वेदी | 2019 | शिव सेना |
एन.बीरेन सिंह | 2017 | भाजपा |
हिमंत बिस्वा सरमा | 2015 | भाजपा |
सतपाल महाराज | 2014 | भाजपा |
वहीं 2021 में असम से कांग्रेस की युवा नेता सुष्मिता देव तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया। सुष्मिता को राहुल और सोनिया गांधी का करीबी नेता माना जाता था। असम से ही हिमंत बिस्वा सरमा भी 2015 में भाजपा में शामिल हो गए और वह आज असम के मुख्यमंत्री हैं। हिमंत बिस्वा सरमा की तरह मणिपुर से कांग्रेस के प्रमुख नेता एन.बीरेन सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। और 2017 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। उत्तराखंड से प्रमुख कांग्रेसी नेता सतपाल महाराज भी 2014 में कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं।
पार्टी के अंदर मौजूद नेताओं में रोष
ऐसा नहीं है कि पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस में सह कुछ ठीक हो गया है। पार्टी में मौजूद कई नेता अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी आशंका जता रहे हैं। इसमें आनंद शर्मा, शशि थरूर, पृथ्वीराज चाह्वाण जैसे नेता शामिल हैं। रविवार की कार्यसमिति की बैठक में आनंद शर्मा ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचन सूची तैयार किए जाने को लेकर सवाल खड़े किए। और शर्मा ने सवाल पूछा कि पार्टी के संविधान के तहत उचित प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं? जाहिर है आनंद शर्मा को चुनाव प्रक्रिया को लेकर संशय है। इसी तरह पीटीआई के अनुसार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है अगर किसी को कठपुतली अध्यक्ष बनाकर बैकसीट ड्राइविंग से पार्टी को चलाने कोशिश हुई, तो कांग्रेस नहीं बच पाएगी। साथ ही केवल अध्यक्ष नहीं कांग्रेस कार्य समिति समेत सभी पदों के लिए चुनाव होना चाहिए। और अब शशि थरूर ने भी लेख लिखकर निष्पक्ष चुनाव की वकालत की है।