- जहांगीरपुरी में अगले 14 दिन तक बुलडोजर पर ब्रेक
- नॉर्थ एमसीडी ने जमीयत पर गुमराह करने का आरोप लगाया
- अदालत ने सरकारी पक्ष से पूछा कि कुर्सी और स्टॉल हटाने के लिए बुलडोजर की जरूरत क्यों पड़ी
12 अप्रैल को दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई और उसमें तीन गिरफ्तारियां हुई। उसके बाद 20 अप्रैल को उत्तरी दिल्ली नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता ने अवैध निर्माण को तोड़ना शुरू किया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। बुधवार को अदालत ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई जिसे 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। लेकिन बात करते हैं सियासी टूरिज्म की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी पर विपक्षी दलों ने तंज कसते हुए कहा कि बुलडोजर आशियानों पर नहीं बल्कि संविधान पर चला है। इन सबके बीच कांग्रेस का 14 सदस्यों वाला प्रतिनिधिमंडल अजय माकन की अगुवाई में जहांगीरपुरी पहुंचा है।
जहांगीरपुरी में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल
कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी अजय माकन के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल, जहांगीरपुरी में कल हुए विध्वंस अभियान से प्रभावित परिवारों से मिलने पहुंचा। पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि हम प्रभावित परिवारों से मिलेंगे। बाद में हम सोनिया गांधी को एक रिपोर्ट सौंपेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार को घेरते हुये कहा था कि आप मेरा घर तोड़ सकते हैें लेकिन हौसला नहीं।
14 दिन तक कार्रवाई पर स्टे
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में इमारतों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर अगले आदेश तक यथास्थिति कायम रखने के बृहस्पतिवार को निर्देश दिए।न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किए। याचिका में दावा किया गया है कि दंगों के मुस्लिम आरोपियों की इमारतों को तोड़ा जा है।अदालत ने कहा, “अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखी जाए…. मामले को दो हफ्ते के बाद सूचीबद्ध किया जाए और तब तक दलीलों को पूरा किया जाए।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि वह बुधवार को की गई तोड़फोड़ की कार्रवाई का गंभीर संज्ञान लेगी जो उत्तर दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के महापौर को उसके आदेश से अवगत कराए जाने के बाद भी जारी रही थी।उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में भाजपा शासित (एनडीएमसी) ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत बुधवार को इलाके में एक मस्जिद के पास कई पक्के और अस्थायी ढांचों को बुलडोजर से तोड़ दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने विध्वंस कार्रवाई के खिलाफ जमीयत की याचिका का संज्ञान लेने के बाद अभियान को रोकने के लिए बुधवार को दो बार हस्तक्षेप किया था।