- 2024 में विपक्ष का चेहरा बनने के लिए ममता बनर्जी मजबूत दावेदारी पेश कर रही हैं।
- यशवंत सिन्हा का राष्ट्रपति पद के लिए, विपक्ष का उम्मीदवार चुना जाना ममता की ताकत दिखाता है।
- 2024 से पहले 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और इनमें कांग्रेस का प्रदर्शन विपक्ष की राजनीति को सीधे तौर प्रभावित करेगा।
Congress Role in Opposition: मंगलवार का दिन राजनीतिक रूप से कई संदेश लेकर आया है। पहला तो यह कि विपक्ष ने पूर्व भाजपा नेता और इस समय तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया है। दूसरा, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और उनके साथियों द्वारा उद्धव सरकार से बगावत करने के बाद, महाराष्ट्र सरकार पर संकट गहरा गया है। और इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ जारी है। अगर इन तीनों घटनाक्रमों को देखा जाय तो भविष्य की राजनीति में इसका सबसे ज्यादा असर कांग्रेस पर पड़ने वाला है।
ऐसा इसलिए है कि देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन में कांग्रेस सीधे तौर पर मुख्य भूमिका में नहीं है। और वह बैकफुट से ममता बनर्जी द्वारा प्रस्तावित यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रही है। इसी तरह राहुल गांधी से पिछले 4 दिनों से ईडी की पूछताछ के विरोध में भले ही कांग्रेस नेता सड़कों पर है, लेकिन राहुल गांधी के समर्थन में प्रमुख विपक्षी दल खुलकर सामने नहीं आए हैं। और अगर महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरती है तो कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य से सत्ता निकल जाएगी।
राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार चयन में फ्रंट पर नहीं दिखी कांग्रेस
राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार चुनने की कवायद में ऐसा पहली बार है कि कांग्रेस मुख्य भूमिका में नजर नहीं आ रही है। और विपक्ष की ओर से सारी कवायद ममता बनर्जी और शरद पवार की ओर से ही दिखी है। जबकि अब तक ऐसा रहा है कि कांग्रेस अगर विपक्ष में भी रही है तो उम्मीदवार चयन में उसकी अहम भूमिका रही है। मसलन 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार ही राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनी थीं। इसके अलावा पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन में कांग्रेस का ही दबदबा था। इस बीच एनडीए के उम्मीदवार ए.पे.जी अब्दुल कलाम का कांग्रेस ने समर्थन किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस शुरू से ही ममता बनर्जी के साथ खड़ी नजर आई । और गांधी परिवार ने जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला और अन्य नेताओं को भेजकर ममता के साथ चलने का संदेश दे दिया था।
राहुल गांधी के साथ मजबूती से खड़ा नहीं दिखा विपक्ष !
इसी तरह राहुल गांधी से ईडी लगातार पूछताछ कर रहा है। और उसके विरोध में कांग्रेस देश के अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शन भी कर रही है। लेकिन कोई भी विपक्ष का बड़ा नेता और उसकी पार्टी खुलकर उनके समर्थन में खड़ी होती नजर नहीं आई। सूत्रों के अनुसार 15 जून को ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए विपक्षी दलों के साथ बैठक बुलाई थी, तो उसमें जरूरी उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
इस बीच केवल डीएमके नेता एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ईडी की कार्रवाई पर खुलकर राहुल गांधी के समर्थन में सामने आए। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ सत्ता में मौजूद भाजपा सरकार द्वारा ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए किए जाने के कृत्य की निंदा करता हूं।
2024 में दिख सकता है असर
राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह विपक्ष के नेतृत्व की भूमिका ममता बनर्जी ने निभाई है, उससे साफ है कि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी ऐसा ही कुछ करना चाहेगी। इस बीच राजस्थान, गुजरात, हिमाचल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना सहित 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहता है तो एक बात तय है कि उसके लिए 2024 में विपक्ष का नेतृत्व करना बेहद मुश्किल होगा।