नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारत की जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के उन्नयन को मंजूरी प्रदान कर दी। इसे लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि केंद्र एनपीआर के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रही है, यह एनसीआर की दिशा में पहला कदम है।
वहीं कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, 'हमने भी 2011 में एनपीआर किया, लेकिन इसे एनआरसी तक नहीं ले गए।' अजय माकन 2011 में गृह राज्य मंत्री थे और जनगणना कार्यक्रम 2011 के प्रमुख थे।
NPR पर सरकार को घेरते हुए कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, 'एक बार फिर भाजपा सरकार अपने ही बनाए जाल में फंस गई है। 2018-19 केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एनपीआर एनआरसी का पहला कदम है। इसके अलावा 2014 में पूर्व गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर दिया था। अब कौन झूठ बोल रहा है?'
न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'एनआरसी और एनपीआर के बीच कोई संबंध नहीं है, मैं आज इसे स्पष्ट रूप से बता रहा हूं।' उन्होंने कहा कि यह संभव है कि एनपीआर में कुछ नाम छूट जाएं, फिर भी उनकी नागरिकता को रद्द नहीं किया जाएगा क्योंकि यह एनआरसी की प्रक्रिया नहीं है। NRC एक अलग प्रक्रिया है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि एनपीआर की वजह से कोई भी नागरिकता नहीं खोएगा।
भारत की जनगणना 2021 की कवायद के लिए 8,754.23 करोड़ रुपए के खर्च को मंजूरी दी गई। वहीं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के उन्नयन के लिए 3,941.35 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिए कोई लंबा फॉर्म नहीं भरना होगा। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिए किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। इसके लिए एक मोबाइल एप भी बनाया गया है।
वहीं राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर अमित शाह ने कहा कि इस पर बहस करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है, पीएम मोदी सही थे, इस पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है ना तो मंत्रिमंडल में ना संसद में।