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शाहीन बाग आने से पहले लाहौर गए थे मणिशंकर अय्यर, पाकिस्तान में मोदी,शाह और CAA पर की टिप्पणी

Updated Jan 16, 2020 | 01:01 IST

mani shankar aiyar  claim of rift between pm modi and shah: एनआरसी को लेकर जारी विरोध के बीच कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने लाहौर में दावा किया कि इस मुद्दे पर मोदी और शाह के बीच मतभेद हैं।

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मणिशंकर अय्यर ने फिर से पाकिस्तान में भारत के आंतरिक मामलों पर चर्चा करके परेशानी को आमंत्रित किया है

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर अपने बड़बोलेपन के चलते चाहे ना चाहे चर्चाओं में आ ही जाते हैं, एक बार फिर वो नागरिकता कानून पर दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शकारियों के बीच पहुंचकर तीखी बयानबाजी कर रहे हैं। इससे पहले वो पाकिस्तान के दौरे पर थे वहां लाहौर में एक पैनल डिस्कशन में अय्यर ने एनआरसी को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह के बीच मतभेद का दावा किया।

अपनी मुंहबोली टिप्पणी के लिए जाने जाने वाले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने फिर से पाकिस्तान में भारत के आंतरिक मामलों पर चर्चा करके परेशानी को आमंत्रित किया है।

एनआरसी को लेकर पाकिस्तान में कहीं तमाम बातें
लाहौर में एक पैनल चर्चा के दौरान अय्यर ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच NPR और NRC के मुद्दे पर दरार है, उन्होंने कहा कि दोनों ही देश में 'हिन्दुत्व' का चेहरा हैं। वह सोमवार को पाकिस्तान के लाहौर में एक पैनल चर्चा कार्यक्रम में थे, जिसमें पत्रकार नजम सेठी भी मौजूद थे।

उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर मतभेद है जो हमारे देश में हिंदुत्व का चेहरा हैं- नरेंद्र मोदी और अमित शाह, उन्होंने भारत की छवि को लेकर भी अपने विचार रखते हुए अपनी बात कही। इसके बाद अय्यर मंगलवार को नई दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हुए और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने 'सबका साथ, सबका विकास' के वादे पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने 'सबका साथ, सबका विनाश' किया।

दिल्ली के शाहीन बाग में की तीखी टिप्पणियां
मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर शाहीन बाग बाग पहुंचे और लोगों को संबोधित किया, अय्यर ने शाहीन बाग में प्रदर्शकारियों को संबोधित करते हुए कहा- जो भी कुर्बानियां देनी हों उसमें मैं भी शामिल होने के लिए तैयार हूं, अब देखना है कि किसके हाथ मजबूत हैं हमारे या उस कातिल के..

गौरतलब है कि गरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भागकर आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता देता है और जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।

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