- वंशवादी राजनीति को लेकर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों पर जमकर बरसे जेपी नड्डा
- भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस न तो राष्ट्रीय और न ही लोकतांत्रिक पार्टी रह गई है
- नड्डा ने कहा कि क्षेत्रीय दलों की कोई विचारधारा नहीं है, इनका कोई लक्ष्य भी नहीं है
JP Nadda : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। नड्डा ने कहा कि कांग्रेस 'न तो राष्ट्रीय और न ही लोकतांत्रिक पार्टी है।' उन्होंने कांग्रेस पर वंशवादी पार्टी होने का आरोप लगाया। दिल्ली में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि 'कांग्रेस अब राष्ट्रीय पार्टी नहीं रह गई है और न ही यह भारतीय एवं लोकतांत्रिक पार्टी है। वंशवाद की राजनीति करने वाली कांग्रेस अब केवल भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है।'
विचारधारा से दूर हैं क्षेत्रीय दल-नड्डा
नड्डा ने कहा कि देश की क्षेत्रीय पार्टियां विचारधारा से दूर हैं और से सत्ता पाने का एकमात्र साधन बनकर रह गई हैं। उन्होंने कहा, 'क्षेत्रीय पार्टियां शुरुआत में विचारधारा की बात करती हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद इनकी विचारधारा दूर चली जाती है और वे वंशवाद की राजनीति करने लगती हैं।' राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि भाजपा ही एक मात्र दल है जो पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र बनाए रखने में समर्थ है। इस विषय पर बोलने का हमारे पास नैतिक अधिकार है।
'जम्मू कश्मीर में हमारी लड़ाई पीडीपी के साथ'
उन्होंने कहा, 'आप लोगों ने सभी व्यक्ति को सत्ता में चुनकर भेजा है। क्या एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए कोई पार्टी फैसला लेने में सक्षम है? पार्टी कैसी है? पार्टी में नेताओं के बीच संबंध कैसे हैं? हमारा लोकतंत्र कहां पर है?' दूसरी पार्टियों को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए नड्डा ने कहा कि आप देख सकते हैं कि भाजपा की लड़ाई किसके साथ है। उन्होंने कहा, 'जम्मू कश्मीर में हमारी लड़ाई पीडीपी के साथ है। उत्तर प्रदेश में हमारी लड़ाई समाजवादी पार्टी के साथ है। आप समझिए कि देश में लोकतंत्र को एक बड़ा खतरा बना हुआ है। हम बिहार में लालू जी के साथ और बंगाल में दीदी और उनके भतीजे से लड़ रहे हैं।'
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पिता के बूढ़े होने पर बेटों के हाथ में पार्टी की कमान
वंशवाद की राजनीति पर नड्डा ने कहा कि 'बाबूजी के बूढ़े होने पर बेटे ने पार्टी की कमान अपने हाथ में ले ली। ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में ये उदाहरण आपको देखने को मिलेंगे। यहां सभी पारिवारिक दल हैं। लालू जी बूढ़े हुए तो पार्टी की कमान उनके बेटे के हाथ में आ गई। महाराष्ट्र में एनसीपी का भी यही हाल है।' भाजपा अध्यक्ष ने पूछा कि इन राजनीतिक दलों का उद्देश्य क्या है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। ये बिना किसी लक्ष्य के राजनीति में हैं।