- अब तक 8 प्रदेश इकाइयां राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं।
- वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने राहुल गांधी के अध्यक्ष नहीं बनने पर बड़ा बयान दिया है।
- अशोक गहलोत और शशि थरूर के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के कयास हैं।
Congress President Election: लगता है कि कांग्रेस में करीब 24 साल बाद. एक बार फिर अध्यक्ष पद के लिए एक से ज्यादा उम्मीदवार होंगे। एक तरफ पार्टी की आधा दर्जन प्रदेश इकाइयां राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को फिर से अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलने अशोक गहलोत बार-बार दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। अब G-23 समूह के नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात कर कई सारे कयासों को जन्म दे दिया है। अभी तक के राजनीतिक घटनाक्रमों से लगता है कि गांधी परिवार के करीबी अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बनाम शशि थरूर का मुकाबला हो सकता है। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के दौरान केरल से राहुल गांधी के फेसबुक अकाउंट पर किया गया पोस्ट भी कई सारे संकेत दे रहा है।
राहुल ने लिखा- पतवार अपने हाथ में लेनी पड़ती है
साल 2019 के लोक सभा चुनाव में जब कांग्रेस को करारी हार मिली थी, तो उसके बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। और उसके बाद से पिछले तीन साल से वह सार्वजनिक तौर पर यही दोहराते रहे हैं, कि वह अध्यक्ष नहीं बनना चाहते हैं। लेकिन फेसबुक पर उन्होंने लिखा है.. जब नाव बीच मझधार में फंस जाए, तब पतवार अपने हाथ में लेनी ही पड़ती है। न रुकेंगे, न झुकेंगे, भारत जोड़ेंगे। अब इस पोस्ट को लिखने का मतलब दो हो सकता है। एक तो यह कि वह मझधार में फंसी कांग्रेस को किनारे लेने के लिए पतवार हाथ में लेने की बात कर रहे हैं। या फिर उनका इशारा लोक सभा चुनावों की ओर है।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में राहुल गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि राहुल गांधी अध्यक्ष रहें या न रहें, उनका पार्टी में प्रतिष्ठित स्थान हैं और वह पार्टी के स्वीकार्य नेता हैं।
परिवारवाद का ठप्पा हटा पाएगी कांग्रेस
जिस तरह से इस बार कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के लिए पार्टी की तरफ से कवायद की जा रही है, उससे यह तो साफ है कि वह परिवारवाद के आरोपों को निराधार साबित करना चाहती है। क्योंकि पिछले 8 साल में भाजपा के लिए कांग्रेस पर हमला करने का यह सबसे बड़ा हथियार बन चुका है। और अगर कोई गांधी परिवार से अलग पार्टी अध्यक्ष बनता है तो कांग्रेस के लिए 2024 के लोक सभा और इस बीच 12 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव में परिवारवाद पर हमले से बचने का हथियार मिल जाएगा।
अशोक गहलोत का गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों से नाता
गहलोत-थरूर के नाम सामने क्यों आए
अभी तक मीडिया में अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शशि थरूर के नाम की चर्चा है। गहलोत जहां गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। वहीं शशि थरूर, कांग्रेस के उस G-23 गुट के सदस्य हैं, जिसने साल 2020 में पार्टी की हार और नेतृत्व के असमंजस को लेकर सवाल उठाए थे। इसके अलावा उन्होंने हाल ही में एक लेख लिखकर कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष कराने की अपील की थी। ऐसे में अगर थरूर चुनाव लड़ते हैं, तो पार्टी निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव का संदेश दे सकेगी। साथ ही वह यह भी दावा कर सकेगी कि जो लोग गांधी परिवार के नेतृत्व से नहीं खुश हैं, उन्हें भी पार्टी ने शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने का मौका दिया है।
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सचिन पायलट की खुल सकती है लॉटरी
अगर अशोक गहलोत अध्यक्ष पद के लिए चुने जाते हैं, तो साफ है कि उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना होगा। ऐसे में पिछले चार साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी की उम्मीद लगाए बैठे सचिन पायलट का सपना भी पूरा हो सकता है। साथ ही पार्टी को विधानसभा चुनाव में ताजा और युवा चेहरे के साथ मैदान में उतरने की ऊर्जा मिल जाएगी।
कुल मिलाकर कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा, उसका पता तो 17 या 19 अक्टूबर को पता चलेगा। लेकिन नतीजे निश्चित तौर पार्टी के अंदर कई समीकरण बदलने वाले हैं।