- देश में इस समय कोरोना के केस में इजाफा हो रहा है।
- 12 साल से ऊपर के बच्चों के साथ बूस्टर डोज भी दिए जा रहे हैं
- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बूस्टर डोज को बताया जा रहा है अहम
कोरोना की चौथी लहर को लेकर अभी तरह तरह की आशंकाएं हैं। लेकिन जिस तरह से कोरोना के केस सामने आ रहे हैं चिंता बढ़ गई है। इन सबके बीच 12 साल से उपर के बच्चों के टीकाकरण के साथ प्रीकॉशन डोज यानी बूस्टर डोज लगाई जा रही है। अब सवाल यह है कि क्या यह बूस्टर डोज आने वाले खतरे का कारगर सामना कर सकेगा। इस सवाल के जवाब में जानकारों का कहना है कि निश्चित तौर पर बूस्टर डोज कोरोना के खतरे को कम करेगा। एलएनजेपी अस्पताल दिल्ली के एमडी डॉ सुरेश कुमार ने सोमवार को कहा कि COVID वैक्सीन की एहतियाती खुराक प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मददगार होगी और परिवार और समाज को महामारी से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बूस्टर डोज जरूरी
डॉ कुमार ने कहा कि एहतियाती खुराक का COVID-19 उछाल पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा। सरकारी अस्पतालों में एहतियात की खुराक मुफ्त में उपलब्ध है। एहतियाती खुराक इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार होगी। हमने देखा है कि दो खुराक के बाद अस्पताल में भर्तियों की संख्या में कमी आई है। भर्ती होने वाले वे मरीज ज्यादा हैं जिनका टीकाकरण कार्यक्रम अधूरा है। तीसरी खुराक परिवार और समाज की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट आ रहे हैं सामने
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में COVID मामलों में वृद्धि पर चिंता वाली बात है। वर्तमान में कोरोना केस में बढ़ोतरी पर डॉ कुमार ने कहा कि ओमिक्रॉन उप-संस्करण प्रचलित है और आने वाले रोगियों में मौजूद XE संस्करण से इंकार किया है। पिछले 4-5 दिनों से उछाल देखा जा रहा है और सकारात्मकता दर बढ़कर 4-5 प्रतिशत हो गई है। दिल्ली सरकार द्वारा सोमवार को स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी ने पिछले 24 घंटों में 1,011 नए सीओवीआईडी मामलों के साथ लगातार चौथे दिन 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए।इसके साथ, शहर में सक्रिय मामले 4,000 के आंकड़े को पार कर गए और वर्तमान में 4,168 हो गए हैं जो 12 फरवरी के बाद सबसे अधिक है। उक्त तिथि को सक्रिय मामले 4,331 थे। डेली केस में सकारात्मकता दर में वृद्धि देखी गई जो रविवार को 4.48 प्रतिशत थी और अब बढ़कर 6.42 प्रतिशत हो गई है।
क्या देश में कोरोना की चौथी वेव देने जा रही दस्तक? बढ़ने लगे केस तो हरकत में आईं राज्य सरकारें