केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शनिवार को 10 राज्यों में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और मणिपुर हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों ने इन राज्यों में कोविड-19 की निगरानी, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए किए गए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की भी समीक्षा की। ये राज्य या तो नए दैनिक कोविड मामलों में बढ़ोतरी या संक्रमण दर में वृद्धि की रिपोर्ट कर रहे हैं। इस समीक्षा बैठक में आईसीएमआर के महानिदेशक (डीजी) डॉ. बलराम भार्गव और सचिव (डीएचआर) भी उपस्थित थे। इनके अलावा इसमें इन सभी राज्यों के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), मिशन निदेशक (एनएचएम), राज्य निगरानी अधिकारी ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव ने महत्वपूर्ण कोविड नियंत्रण व प्रबंधन रणनीतियों को निम्नानुसार रेखांकित किया है :
- पिछले कुछ हफ्तों में संक्रमण दर 10 फीसदी से अधिक रिपोर्ट करने वाले सभी जिलों को संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लोगों की आवाजाही को रोकने/कम करने, भीड़ होने और लोगों के आपस में मिलने को लेकर सख्त प्रतिबंधों पर विचार करने की आवश्यकता है। जोर देकर यह रेखांकित किया गया कि इस स्तर पर किसी भी प्रकार की ढिलाई से इन जिलों में स्थिति और खराब होगी।
- इन राज्यों में 80 फीसदी से अधिक सक्रिय मामले होम आइसोलेशन में रिपोर्ट की गई है। इन मामलों पर प्रभावी ढंग से और सख्ती से निगरानी रखने की जरूरत है जिससे मरीज अपने पड़ोस, समुदाय, गांव, मोहल्ला, वार्ड आदि में लोगों से न मिलें और संक्रमण न फैलाएं।
- होम आइसोलेशन में लोगों की इस तरह से प्रभावी निगरानी की जानी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जिन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, उन्हें सही समय पर नैदानिक उपचार के लिए निर्बाध रूप से स्थानांतरित किया जा सके। अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के प्रभावी नैदानिक प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए विस्तृत एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) को त्वरित स्थानांतरण व प्रभावी अस्पताल प्रबंधन के लिए पहले ही राज्यों के साथ साझा किया जा चुका है।
- राज्यों को उन जिलों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां संक्रमण दर 10 फीसदी से कम है, जिससे इन जिलों में टीकाकरण की संतृप्ति पर ध्यान केंद्रित करके इन जिलों और इनकी आबादी की रक्षा की जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को अपने टीकाकरण कार्यक्रम की प्रभावी ढंग से योजना बनाने में सक्षम करने के लिए पखवाड़े के आधार पर अग्रिम जानकारी प्रदान करता है। राज्यों को फिर से सूचित किया गया कि टीके की यह मात्रा केंद्र के राज्यों को न्यूनतम संभावित आवंटन को इंगित करती है, इससे अधिक मात्रा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय आम तौर पर राज्यों को उनकी खपत के आधार पर वितरित करता है।
- पिछले दो महीनों में, केंद्र सरकार राज्यों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर और पीएसए संयंत्र उपलब्ध कराकर सहायता कर रही है। इसके अतिरिक्त, राज्य खुद के संसाधनों का उपयोग सरकारी अस्पतालों में पीएसए संयंत्र लगाने के लिए कर रहे हैं। राज्यों को सलाह दी गई कि वे निजी अस्पतालों को अस्पताल आधारित पीएसए संयंत्र लगाने का निर्देश दें। पिछले दो महीनों में राज्यों को इस बारे में पहले भी सलाह दी जा चुकी है। नैदानिक स्थापन अधिनियम के प्रावधान राज्यों को निजी अस्पतालों को इस तरह के निर्देश जारी करने में सक्षम बनाते हैं। जिन राज्यों ने पहले ही इस तरह के निर्देश जारी किए हैं, उन्हें सलाह दी गई है कि वे स्थिति की समीक्षा करें व निजी अस्पतालों को और सुविधा प्रदान करें।
आईसीएमआर के महानिदेशक ने पिछले हफ्ते से प्रतिदिन लगभग 40,000 मामलों की रिपोर्ट को देखते हुए किसी भी तरह की संतुष्टि के खिलाफ चेतावनी दी है। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि 46 जिलों में 10 फीसदी से अधिक संक्रमण दर है, वहीं अन्य 53 जिलों में 5 फीसदी से 10 फीसदी के बीच संक्रमण दर है, उन्होंने राज्यों से अपने परीक्षण में तेजी लाने का आग्रह किया। राज्यों को सलाह दी गई है कि वे जिला-वार रोग प्रसार डेटा के लिए खुद के राज्य स्तरीय सीरो-सर्वेक्षण करें, क्योंकि सर्वेक्षण के समान ठोस प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने के लिए आईसीएमआर के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर का सीरो-प्रसार सर्वेक्षण प्रकृति में भिन्न था। उन्होंने राज्यों को 60+ और 45-60 आयु वर्गों में टीकाकरण में तेजी लाने की सलाह दी, क्योंकि साक्ष्य से पता चलता है कि मृत्यु दर का लगभग 80 फीसदी हिस्सा इन्हीं कमजोर आयु समूहों से है। प्रवर्तन उपायों के संबंध में, उन्होंने राज्य के अधिकारियों को सभी गैर-जरूरी यात्रा से बचने और लोगों की सभी बड़ी सभाओं को हतोत्साहित करने की सलाह दी है।
राज्यों को सलाह दी गई कि:
- अधिक मामलों की रिपोर्ट करने वाले समूहों में गहन रोकथाम और सक्रिय निगरानी करें।
- पता किए गए मामलों और संपर्कों की मैपिंग के आधार पर कंटेनमेंट क्षेत्र को परिभाषित करें।
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों व बाल चिकित्सा मामलों में मौजूदा स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के संवर्धन पर ध्यान देने के साथ ईसीआरपी-II के कार्यान्वयन के लिए नियमित समीक्षा और आगे की कार्रवाई करें।
- आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुरूप मृत्यु गणना की रिपोर्ट करें।