नई दिल्ली: कोरोना वायरस का असर अब CAA विरोधी प्रदर्शनों पर दिखने लगा है। लखनऊ में घंटाघर के पास नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने कोरोना वायरस के मद्देनजर शहर में हुए लॉकडाउन के चलते अपने विरोध प्रदर्शन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। महिला प्रदर्शनकारियों ने पुलिस आयुक्त को भेजे एक पत्र में कहा कि वे 66 दिन पुराना अपना धरना कोरोना वायरस के मद्देनजर अस्थाई रूप से स्थगित कर रही हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि सरकार की ओर से लगाया गया लॉकडाउन समाप्त होने के बाद वे पुनः घंटा घर पर वापस लौटेंगी।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में धरने पर बैठीं प्रदर्शनकारी महिलाओं की संख्या में पहले जनता कर्फ्यू और फिर दिल्ली में 31 मार्च तक लॉकडाउन के ऐलान के बाद काफी कमी आई है।
एक प्रदर्शनकारी मरीयम ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए निर्णय का सम्मान करते हैं और उसका पालन करते हैं। यह आग्रह किया गया है कि कम से कम संख्या में लोग एक स्थान पर एकत्रित हों, इसलिए लोग यहां शिफ्टों में पांच के समूह में आ रहे हैं। हम कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। हम ग्लव्स, मास्क पहन रहे हैं और सैनिटाइजर का उपयोग कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि कुछ अज्ञात लोगों ने कल घटना स्थल पर प्रदर्शनकारियों पर एक पेट्रोल बम फेंका था। हम नहीं जानते कि वे कौन थे। सरकार को इस मामले की जांच करानी चाहिए। उन्हें इन चीजों की परवाह करनी चाहिए। हम सरकार के आदेशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी हमारे बारे में सोचना चाहिए और इस काले कानून (सीएए) को खत्म करना चाहिए।
कोरोना के चलते महिलाओं ने पहले धरनास्थल पर तख्त रख लिए थे ताकि कई महिलाएं एक साथ ना बैठ सकें। अब उन तख्तों पर महिलाएं की चप्पल और जूतियां रखी हुई हैं।