नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज (27 दिसंबर) जारी किए गए नए गाइडलाइन्स के अनुसार, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन (Covaxin) एकमात्र COVID-19 वैक्सीन होगा, जो अगले महीने से 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को दिया जाएगा। अगले साल 3 जनवरी से 15-18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का COVID-19 टीकाकरण शुरू किया जाएगा। इस कैटेगरी में शामिल की जाने वाली अनुमानित जनसंख्या 7 से 8 करोड़ है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा करते हुए कहा कि इससे स्कूलों और कॉलेजों में जाने वाले बच्चों और उनके माता-पिता की चिंता कम होगी और महामारी के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा मिलेगा, यह कहते हुए कि इस कदम से स्कूलों में शिक्षण के सामान्यीकरण में भी मदद मिलेगी।
मंत्रालय ने अपने गाइडलाइंस में कहा कि 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों के लिए टीकाकरण का विकल्प केवल कोवैक्सिन उपलब्ध होगा क्योंकि यह 15-17 आयु वर्ग के लिए आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) वाला एकमात्र टीका है।
केंद्र के COVID-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ एनके अरोड़ा ने रविवार को कहा कि कोवैक्सिन ने ट्रायल में बच्चों में बहुत अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखाई है। अरोड़ा, जो टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के भारत के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों का टीकाकरण क्यों महत्वपूर्ण है।
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उन्होंने एएनआई को बताया कि 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे, विशेष रूप से 15 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे, वयस्कों को बहुत पसंद करते हैं। देश के भीतर हमारा शोध यह भी कहता है कि भारत में कोविड से होने वाली मौतों में से करीब दो-तिहाई इस आयु वर्ग के भीतर हैं। इसलिए, यह निर्णय मुख्य रूप से किशोरों की सुरक्षा के लिए लिया गया था।
यह तब आया जब AIIMS में एक वरिष्ठ महामारी विज्ञानी, जो संस्थान में वयस्कों और बच्चों के लिए कोवैक्सिन ट्रायल के प्रमुख इंवेस्टिगेटर हैं। उन्होंने बच्चों के टीकाकरण के केंद्र के फैसले को "अवैज्ञानिक" करार दिया और कहा कि इससे कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलेगा।