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Omicron को लेकर कोविड टास्क फोर्स के चीफ वीके पॉल ने कही बड़ी बात, बेअसर साबित हो रही है वैक्सीन की दो डोज

Updated Dec 14, 2021 | 23:47 IST

न्यूज की पाठशाला : ओमाइक्रॉन का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसको लेकर कोविड टास्क फोर्स के चीफ वीके पॉल ने बहुत बड़ी बात कही है।

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Omicron को लेकर कोविड टास्क फोर्स चीफ ने कही बड़ी बात

ओमाइक्रॉन का खतरा देश में भी बढ़ता जा रहा है। दिल्ली और राजस्थान में 4 नए केस आए हैं। महाराष्ट्र में 8 नए केस आए हैं। ओमाइक्रॉन अब देश के 8 राज्यों में फैल गया है। ओमाइक्रॉन के कुल 61 केस हो गए हैं। ओमाइक्रॉन के खतरे के बीच आज कोविड टास्क फोर्स के चीफ वीके पॉल ने बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति भी बन सकती है जिसमें हमारी वैक्सीन नए वेरिएंट के खिलाफ बेअसर हो जाए। और ऐसी स्थिति में हमें पुरानी वैक्सीन के प्लेटफॉर्म पर नए वेरिएंट के हिसाब से वैक्सीन बनानी होंगी। ओमाइक्रॉन के सामने वैक्सीन की दो डोज बेअसर साबित हो रही हैं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में बताया गया कि एस्ट्राजेनेका और फाइजर दोनों की वैक्सीन के दो डोज ओमाइक्रॉन के सामने बेअसर है। इजराइल में एक स्टडी में बताया गया कि फाइजर वैक्सीन की दो डोज भी ओमाइक्रॉन के संक्रमण को रोक नहीं पाती है। दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, जर्मनी की अलग अलग स्टडी में भी बताया गया कि ओमाइक्रॉन के सामने वैक्सीन की दो डोज बेअसर हो जाती है।

ओमाइक्रॉन के सामने वैक्सीन क्यों बेअसर हो रही है। इसे समझना जरूरी है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इस वेरिएंट में 50 म्यूटेशन में 32 म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं। जिससे वायरस हमारी Cells में एंट्री करता है। ज्यादातर कोरोना वैक्सीन, वायरस के स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करके बनाई गई है, लेकिन अब वायरस के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की वजह से वैक्सीन का प्रभाव कम हो रहा है। इसी वजह से वैक्सीन से वायरस के खिलाफ जो एंटीबॉडी बन रही थी, उसमें 40 गुना तक कमी आ रही है।

ओमाइक्रॉन का खतरा कितना बड़ा है। इसे लोग समझ नहीं रहे हैं। 

कई धारणाएं ऐसी हैं कि कोरोना का ये वेरिएंट कमजोर है। इससे कोई गंभीर संक्रमण नहीं हो रहा है। अगर संक्रमण होता भी है, तो बहुत मामूली लक्षण होते हैं। जैसे बदन दर्द, थकावट। और इन लक्षणों में बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे। इसलिए लगातार सावधान करने के बाद भी लोग इसे हल्के में ले रहे हैं। भारत में तो अब मास्क लगाना भी कम हो गया है। लेकिन आज आपको ये जान लेना चाहिए कि ओमाइक्रॉन के संक्रमण से दुनिया में पहली मौत हो चुकी है। और ये ब्रिटेन में हुआ है। ब्रिटेन में तो ओमाइक्रॉन से बचने के लिए बूस्टर डोज लगवाने की भगदड़ मची है। अगर इसके बाद भी हम सबकी आंखे नहीं खुलीं। तो फिर खतरे को हम खुद बुलावा देंगे। वो खतरा, जिससे हम अभी बच सकते हैं। 

ब्रिटेन में ओमाइक्रॉन वेरिएंट से पहली मौत हुई है। ओमाइक्रॉन वेरिएंट के मिलने के बाद पहली बार किसी देश ने इस वेरिएंट की वजह से हुई मौत को कंफर्म किया है। ये दुनिया में ओमाइक्रॉन वेरिएंट से हुई पहली मौत है। ब्रिटेन ने इस मरीज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी। मरीज को वैक्सीन लगी थी या नहीं, ये क्लियर नहीं है। मरीज को कोई हेल्थ इश्यू था, ये भी क्लियर नहीं है। हालांकि इस मौत से ठीक पहले ओमाइक्रॉन के 10 मरीज ब्रिटेन में अस्पतालों में भर्ती हुए थे। इन 10 मरीजों की उम्र 18 से 85 साल के बीच थी, और सभी को वैक्सीन की दोनों डोज़ लगी थी।

ओमाइक्रॉन का पहला केस ब्रिटेन में 27 नवंबर को मिला था लेकिन अब लंदन में 44% केस, और पूरे ब्रिटेन में 20% केस ओमाइक्रॉन के हैं। ब्रिटेन में ओमाइक्रॉन के अभी 4,713 केस हैं, लेकिन ये 2 लाख केस प्रति दिन तक पहुंच जाएंगे। खुद को और देश को सुरक्षित रखने के लिए जो टेस्ट हम कर सकते हैं, वो कर रहे हैं, जिस से हम क्रिसमस सामान्य ढंग से मना सकें। इस वैक्सीनेशन सेंटर में आना अद्भुत है, बड़ी संख्या में लोग ये संदेश समझ रहे हैं। जिस तरह से डीएनए टेस्ट हो रहा है वो प्रेरणादायक है। डॉक्टर और नर्स पूरी जान लगाकर काम कर रहे हैं। अगले कुछ दिनों में हम इसे और तेजी से बढ़ाएंगे हमने अपने लिए बड़ा लक्ष्य तय किया है।

हमने पूरे देश वैक्सीन सेंटर बढ़ाए हैं। सप्लाई के लिए सेना की मदद ले रहे हैं। हर संभव तरीके से आगे बढ़ रहे हैं। अब जनता को आगे आने और टीका लगवाने की जरूरत है। ओमाइक्रॉन का खतरा कैसे बढ़ रहा है। इसे आप यूरोप में बढ़ते मामलों से समझिए। अफ्रीका के बाद इस वेरिएंट का नया हॉट स्पॉट यूरोप बनता जा रहा है।

ब्रिटेन में प्रति दिन 2 लाख केस आने की चेतावनी दी जा रही है। नॉर्वे में प्रति दिन 3 लाख केस आने की चेतावनी दी जा रही है। ब्रिटेन ने 18 से 30 साल की एज ग्रुप को भी बूस्टर डोज देना शुरू कर दिया। डेनमार्क में कोरोना के नए मामले में 50% मामले ओ-माइक्रॉन के हो गए हैं। ओमाइक्रॉन को लेकर दुनियाभर की हेल्थ एजेंसियां चेतावनी दे रही हैं। European Center for Disease Prevention and Control ने कहा है कि मार्च 2022 तक यूरोप में ओमाइक्रॉन सबसे पावरफुल वेरिएंट हो जाएगा।

WHO ने कहा कि आने वाले दिनों में ओमाइक्रॉन डेल्टा को पीछे छोड़ देगा, सबसे ज्यादा केस ओमाइक्रॉन के होंगे। जैसे जैसे केस बढ़ेंगे वैसे वैसे अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ेगी और मौत का आंकड़ा भी बढ़ेगा। ब्रिटेन में ओमाइक्रॉन के खतरे के बीच बूस्टर डोज़ लेने के लिए मारामारी मची है। 

ओमाइक्रॉन का भारत में कितना खतरा है। क्या ओमाइक्रॉन से तीसरी लहर आ सकती है। आने वाले कितने हफ्ते भारत के लिए अहम हैं। क्या भारत को बूस्टर डोज़ की तत्काल ज़रूरत है। इन्हीं सब ज़रूरी सवालों पर आज हमने एक्सपर्ट से बात की।  ओमाइक्रॉन वेरियंट कितना खतरनाक है, इसी मुद्दे पर हमने डॉ. नरेश त्रेहन से बात की। 

डॉक्टर त्रेहन के ज़रूरी नोट्स, डेल्टा में 1 से 7 लोगों को संक्रमण, ओमाइक्रॉन में 1 से 18 को संक्रमण, अक्टूबर से ही भारत में ओमाइक्रॉन आने वाले 4 से 6 हफ्ते बहुत अहम, जल्द डबल डोज लगवाना होगा, बूस्टर डोज पर हमें सोचना होगा। बूस्टर डोज वाली वैक्सीन तय करनी होगी। वैक्सीन लगे 6 महीने हुए तो बूस्टर डोज, बच्चों की वैक्सीन पर जल्द फाइनल हो, स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए। सुपर स्प्रेडर इवेंट की लापरवाही ना हो बच्चों को लेकर वैज्ञानिकों में डर है।ओमाइक्रॉन से तीसरी लहर आ सकती है।

पॉलिटिकल साइंस की क्लास

पीएम मोदी का वाराणसी दौरा सिर्फ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने आज बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए पाठशाला लगाई। पीएम की पाठशाला में बीजेपी शासित राज्यों के जो मुख्यमंत्री थे। उनमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू, गोवा के प्रमोद सावंत, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, हरियाणा के मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, कर्नाटक के बसवराज बोम्मई, मणिपुर के एन बीरेन सिंह, और  त्रिपुरा के सीएम विप्लव देव मौजूद थे।

इसके अलावा 6 डिप्टी सीएम भी थे। सभी मुख्यमंत्रियों से प्रधानमंत्री ने प्रेजेंटेशन लिया। इनके विकास कार्यों को देखा। केंद्र की योजनाओं की समीक्षा की। और इन सभी मुख्यमंत्रियों को होम वर्क दिया। काशी के दौरे और पीएम की क्लास के बाद ये सभी बुधवार को अयोध्या जाएंगे। वहां दर्शन पूजन करेंगे। 

पीएम की पाठशाला में मुख्यमंत्रियों को क्या होमवर्क मिला। वो भी आपको बताते हैं। बैठक में पीएम मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से कहा कि वो सबका साथ-सबका विकास के सपने को धरातल पर लाएं। प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से इस बात का खास ख्याल रखने को कहा कि संगठन में सभी के बीच संवाद जारी रहे। मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि नीतियों और योजनाओं के प्रचार-प्रसार में कमी नहीं रहे। प्रधानमंत्री की पाठशाला में मुख्यमंत्रियों को हर हाल में योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने का होमवर्क भी मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने गुड गवर्नेंस का मंत्र देते हुए मुख्यमंत्रियों से विकास युक्त और भ्रष्टाचार मुक्त नीति पर काम करने को कहा।

काशी कॉरिडोर बीजेपी के चुनाव प्रचार के केंद्र में रहेगा। इससे ना सिर्फ उसे यूपी में चुनावी फायदे की उम्मीद होगी बल्कि पीएम का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से 2024 में भी बीजेपी को मदद मिलेगी। काशी कॉरिडोर उसी तरह का चुनावी मॉडल बनेगा, जैसा कि गुजरात मॉडल बना था। क्योंकि सिर्फ काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का ही विकास नहीं, बल्कि पूरे वाराणसी का विकास हुआ है। एक तरफ अगर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना है तो दूसरी तरफ गंगा की सफाई के लिए 913 करोड़ के 13 प्रोजेक्ट चले। गंगा में क्रूज की सुविधा, गंगा में 200 बोट CNG ऑपरेडेट वाराणसी में सीवेज सिस्टम को अपग्रेड किया गया। दीनापुर में 14 करोड़ लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट। करीब 8 हजार करोड़ रुपये से सड़कों का निर्माण और सड़कों का चौड़ीकरण हुआ। गोदौलिया में 19 करोड़ रुपये से multi-storey smart parking facility बनीआधुनिक रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर बना। वाराणसी-गाजीपुर रोड पर 3 लेन का फ्लाईओवर। 432 करोड़ की लागत से काशी को तार-मुक्त किया। 720 लोकेशन पर 3000 सर्विलांस कैमरे लगाए। 139 करोड़ की लागत से स्मार्ट स्कूल और स्किल डेवलमेंट सेंटर बने।BHU अस्पताल में 100 बेड का नया विंग बनाया।

यही वजह है कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने बनारस मॉडल का जिक्र किया। कहा, यही भारत के विकास का रोडमैप है। आज जब हम बनारस के विकास की बात करते हैं, तो इससे पूरे भारत के विकास का रोडमैप भी बनता है.रिंग रोड का काम भी काशी ने रिकॉर्ड समय पर पूरा किया है. बनारस आने वाली कई सड़कें भी अब चौड़ी है गई हैं. जो लोग सड़क के रास्ते बनारस आते हैं, वो सुविधा से कितना फर्क पड़ा है, इसे अच्छे से समझते हैं.गौदोलिया में जो सुंदरीकरण का काम हुआ है, देखने योग्य बना है. मैंने मडुवाडीह में बनारस रेलवे स्टेशन भी देखा. इस स्टेशन का भी अब कायाकल्प हो चुका है. पुरातन को समेटे हुए नवीनता को धारण करना, बनारस देश को नई दिशा दे रहा है.

2014 से पहले गुजरात मॉडल की बात होती थी। गुजरात मॉडल से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। 2024 से पहले काशी मॉडल की बात हो रही है। क्या तीसरी बार सत्ता के कॉरिडोर में काशी मॉडल लेकर जाएगा?

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