नई दिल्ली : सीमा की सुरक्षा करने के साथ-साथ भारतीय सेना के जवान देश में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं। बाढ़, भकूंप, बादल फटने की त्रासदी या चक्रवात से हुए नुकसान के बाद ये जवान जीवन रक्षक के रूप में सामने आते हैं और राहत एवं बचाव कार्य चलाते हुए ये लोगों को नई जिंदगी देते हैं। चक्रवात 'ताउते' के गुजरने के एक सप्ताह बाद चक्रवात 'यास' ने बंगाल और ओडिशा में अपना रौद्र रूप दिखाया। बुधवार को यह चक्रवात बंगाल और ओडिशा गुजरा। अब यह झारखंड में प्रवेश कर गया है। हालांकि, अब इसकी तीव्रता कमजोर पड़ गई है।
बंगाल और ओडिशा में 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलने से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गये, खेतों में पानी भर गया। चक्रवात की वजह से बंगाल में एक और ओडिशा में तीन लोगों की जान गई है।
चक्रवात 'यास' से निपटने के लिए सेना और वाय सेना ने अपनी विशेष तैयार की है। प्रभावित इलाकों में बचाव उपकरण एवं राहत सामग्री पहुंचाने के लिए इन्होंने अपनी योजना पहले ही तैयार कर ली थी। वायु सेना 21 मई से ही चक्रवात से अपने निपटने की तैयारी में जुटी थी।
वायु सेना ने इस दौरान 21 टन मानवीय सहायता एवं आपदा राहत उपकरणों को पहुंचाया है। आईएएफ इस दौरान पटना और वाराणसी से एनडीआरएफ के 334 कर्मियों को कोलकाता एवं अरोक्कोनम से पोर्ट ब्लेयर ले गई। यही नहीं, वायु सेना राहत एवं बचाव कार्य के लिए अपने एक सी-17 विमान, न आईएल-76, तीन सी-130 और दो डोर्नियर परिवहन विमान को तैयार रखा था।
इसके अलावा 11 एमई-17V5 हेलिकॉप्टर, दो चेतक हेलिकॉप्टर, तीन चीता, 2 एएलएच ध्रुव और सात एमआई 17 हेलिकॉप्टर को भी अलर्ट पर रखा गया था।
वहीं, सेना ने कुल 17 एकीकृत रिलीफ कॉलम तैयार रखे। इनमें नावों, उपकरणों के साथ विशेषज्ञ भी शामिल हैं। सेना के कॉलम को पुरुलिया, झाड़ग्राम, बीरभूम, बर्धमान, पश्चिमी मिदनापुर, हावड़ा, हुगली, नदिया, 24 परगना उत्तर और दक्षिण में तैनात किया गया।
चक्रवात के कारण ओडिशा, पश्चिम बंगाल ओर झारखंड में 21 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। अपराह्र में तटों से टकराने के बाद तूफान कमजोर पड़ गया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने दावा किया है कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण कम से कम एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।