नई दिल्ली : गर्व और दुख से भरी आवाज में अपने 'प्रतिभाशाली' बेटे दानिश सिद्दीकी को याद करते हुए मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी ने कहा, 'वह बहुत भावुक व्यक्ति था।'
इससे पहले अफगान समाचार चैनल 'टोलो न्यूज' ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि अफगानिस्तान में कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में संघर्ष के दौरान दानिश की मौत हो गई। बताया जाता है कि कंधार, खास तौर से स्पिन बोल्डक में पिछले कुछ दिनों से भीषण संघर्ष चल रहा है। भारतीय पत्रकार दानिश कंधार में संघर्ष कवर कर रहे थे।
जामिया के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी ने कहा, 'वह बहुत शांत, मृदु और प्यार करने वाला बेटा था। उसे बच्चों से बहुत प्यार था। वह बहुत भावुक था।' दानिश की मृत्यु की खबर आने के एक दिन बाद उनके पिता ने यह बातें कहीं।
...और परिवार को पड़ गई थी आदत
हमेशा जान को खतरे में डालने वाले दानिश के काम के बारे में बात करते हुए अख्तर सिद्दीकी ने बताया कि समय के साथ-साथ परिवार को उसके काम की आदत हो गई थी।
उन्होंने कहा, 'शुरुआत में हम उससे कहते थे कि ऐसी नौकरी का क्या फायदा, लेकिन धीरे-धीरे हमें आदत हो गई। वह हमें बताता था कि उसे सुरक्षा मिली हुई है, और वह पूरी सुरक्षा के साथ यात्रा करता है। हमने उसे सिर्फ एहतियात बरतने को कहा था।'
पिछले एक साल में दानिश सिद्दीकी ने देशभर में कोविड-19 महामारी संबंधी कई तस्वीरें ली थीं। उन्होंने कहा, 'वह बहुत प्रतिभाशाली था। वह अपने काम के प्रति समर्पित था और उसे चुनौतियों का सामना करना अच्छा लगता था। महामारी, दिल्ली दंगों के दौरान भी चुनौतियों के बावजूद उसने तस्वीरें लीं।'
बचपन से ही जुनूनी थे दानिश सिद्दीकी
अख्तर याद करते हैं, बचपन में वह बहुत 'जुनूनी और ऊर्जावान था।' वह अगर किसी बात पर एक बार अपना मन बना लेता था तो उसे जरूर पूरा करता था। पुत्रशोक में डूबे पिता ने कहा, 'वह बहुत साहसी था।'
दानिश सिद्दीकी 2011 से समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बतौर फोटो पत्रकार काम कर रहे थे। उन्होंने अफगानिस्तान और ईरान में युद्ध, रोहिंग्या शरणार्थी संकट, हांगकांग में प्रदर्शन और नेपाल में भूकंप जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं की तस्वीरें ली थीं। मुंबई में रह रहे दानिश को पुलित्जर पुरस्कार भी मिल चुका था।