- अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में होने वाले हैं डीडीसी के चुनाव
- फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस अभी भी गठबंधन का हिस्सा है
- फारूक के दावे पर कांग्रेस की तरफ से अभी बयान नहीं दिया गया है
श्रीनगर : नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के मुखिया एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी 'पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेयरेशन' का अभी भी हिस्सा है और वह जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव साथ मिलकर लड़ेगी। हालांकि, फारूक अब्दुल्ला के इस दावे पर कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक रूप से अभी कुछ नहीं कहा गया है। समझा जाता है कि फारूक के इस दावे के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस पर निशाना साध सकती है।
एनसी प्रमुख का यह बयान ऐसे सयम आया है जब एक दिन पहले रविवार को कांग्रेस ने डीडीसी चुनाव के लिए अपने उम्मदवारों की घोषणा करने का फैसला लिया। अब्दुल्ला का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर ने उनसे मुलाकात की है।
'साथ मिलकर लड़ रहे चुनाव'
उन्होंने कहा, 'हम चुनाव साथ मिलकर लड़ रहे हैं।' अब्दुल्ला रविवार को शहर के रघुनाथ बाजार में थे। इस दौरान उनके पूछा गया कि गुपकार घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाली कांग्रेस क्या इस गठबंधन से अलग हो गई है क्योंकि गठबंधन की किसी बैठकों में उसने हिस्सा नहीं लिया है।
कांग्रेस ने मीर की मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया
इस पर एनसी नेता ने कहा, 'कांग्रेस गठबंधन से कहां अलग हुई है? इस बारे में कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है और डीडीसी का चुनाव हम साथ मिलकर लड़ रहे हैं।' फारूक ने कहा कि कांग्रेस नेता मीर से उनकी मुलाकात हुई है और उन्होंने डीडीसी चुनाव साथ मिलकर लड़ने की बात कही है। वहीं, कांग्रेस के चीफ प्रवक्ता रवींद्र शर्मा का कहना है कि मीर की फारूक से मुलाकात एक शिष्टाचार भेंट थी और इस बैठक के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं है।
सात दलों ने मिलकर बनाया है गठबंधन
जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के सात दलों ने शनिवार को घोषणा की कि वे डीडीसी का चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी समेत ये सातों दल तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने के लिये बनाए गए गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) का हिस्सा हैं। केंद्र सरकार ने गत पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार पंचायत चुनाव हो रहे हैं।