केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया, जिसे बाद में राज्यसभा ने ध्वनि मत से पारित कर दिया। बिल दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 में संशोधन की मांग करता है ताकि दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक इकाई में एकीकृत किया जा सके। विधेयक को लोकसभा ने 30 मार्च को पारित किया था। राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि एमसीडी के साथ आम आदमी पार्टी (AAP) ने सौतेला व्यवहार किया है। सरकार ऐसा करेंगी तो विकास नहीं हो सकता। तीनों नगर निगमों में अलग-अलग नियम चल रहे हैं। तीनों नगर निगमों को सुचारू रूप से काम करना जरूरी है। दिल्ली में पीएम आवास, संसद, दूतावास के कार्यालय सहित कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। निगम और देश के लिए महत्वपूर्ण है कि तीनों नगर निगम सुचारू रूप से काम करें। 1957 में एक कानून के द्वारा नगर निगम का गठन हुआ। 2012 में एनसीटी शासन द्वारा दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम के तहत तीन निगमों में बांटा गया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 लाने के लिए सरकार की संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं। हमें सत्ता का भूखा कहने वालों को खुद को आईने में देखना चाहिए।
इससे पहले लोकसभा में शाह ने कहा था कि शहर में नीतियों में एकरूपता नहीं है क्योंकि तीनों निकायों के अपने बोर्ड हैं जो अपनी नीतियां तय करते हैं। 2012 तक शहर में एक निकाय था, जब तत्कालीन सरकार ने निगमों को तीन भागों में बांटने का फैसला किया। आनन फानन में बांटने का फैसला किया गया था। एक की इनकम ज्यादा, दो की कम थी। दिल्ली नगर नगम को एक करना जरूरी है। दिल्ली में पार्षदों की संख्या 250 करेंगे। एक ही निगम पूरी दिल्ली की सेवा देखेगा। तीन निगम, अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान करने में अक्षम हैं।
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