- फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने आईएएस और आईपीएस की तरह कैडर की मांग की
- 1961 की मुदलियार समित का दिया हवाला
- संगठन का आरोप सरकार की तरफ से सिर्फ मिलते हैं झूठे आश्वासन
नयी दिल्ली। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आईएएस और आईपीएस की तरह स्वास्थ्य सेवा पेशवरों के लिए एक अलग कैडर की मांग की।इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी ने एक बार फिर से देश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है।
आईएएस और आईपीएस की तरह कैडर की मांग
फेडरेशन ने कहा कि भारतीय चिकित्सा सेवा (आईएमएस) कैडर का सृजन कोरोना वायरस के समय में अधिक प्रासंगिक हो गया है, जिससे विभिन्न विशिष्टताओं के चिकित्सक महामारी को नियंत्रित करने और भविष्य में समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के लिए प्रभावी रणनीति तैयार कर सकते हैं।उसने कहा कि देश की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए नीतियों में विशेषज्ञों (डॉक्टरों) का ज्ञान आवश्यक है।
1961 की रिपोर्ट का दिया गया हवाला
फेडरेशन ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) आदि की तरह स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए एक अलग कैडर की मांग लंबे समय से लंबित है।स्वास्थ्य सर्वेक्षण और योजना समिति (जिसे मुदलियार समिति भी कहा जाता है) ने 1961 में अपनी रिपोर्ट में एक केंद्रीय स्वास्थ्य कैडर के गठन की सिफारिश की थी।
आज तक सिर्फ वादे किए गए
पत्र में लिखा गया है कि "सरकार ने 1968 में अखिल भारतीय चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा का गठन करने का फैसला किया था। हालांकि, कई चर्चाओं और राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद भी, इस कैडर को अभी तक मैदान में नहीं लाया गया है। महासंघ ने कहा कि भारतीय चिकित्सा सेवा (आईएमएस) कैडर का निर्माण कोरोनोवायरस के समय में अधिक प्रासंगिक हो गया है, जिससे विभिन्न विशिष्टताओं के डॉक्टर महामारी को नियंत्रित करने और भविष्य में समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के लिए प्रभावी रणनीति तैयार कर सकते हैं।