नई दिल्ली:एल्गार परिषद मामले में आरोपी रहे स्टेन स्वामी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। गौर हो कि पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था।एल्गार परिषद ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था इस दौरान कार्यक्रम में हिंसा भड़क उठी थी। इस मामले में माओवादियों से संपर्क रखने के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें से एक स्टेन स्वामी भी थे।
वहीं इस मामले पर उठ रहे सवालों पर विदेश मंत्रालय ने मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि "हमने फादर स्टेन स्वामी के निधन पर रिपोर्ट देखी है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने फादर स्टेन स्वामी को कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए गिरफ्तार किया और हिरासत में लिया था।
उन्होंने कहा कि भारत में प्राधिकारी, अधिकारों के वैध प्रयोग के विरुद्ध नहीं बल्कि कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं और सभी कार्रवाईयां कड़ाई से कानून के अनुसार की जाती हैं, बंबई उच्च न्यायालय ने निजी अस्पताल में स्वामी का इलाज कराने की अनुमति दी थी। उनके स्वास्थ्य और इलाज पर अदालतें करीबी नजर रख रही थीं।
बागची ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका और विभिन्न मानवाधिकार निकायों ने भारत की लोकतांत्रिक और संवैधानिक राज्य तंत्र की सराहना की है और भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
आरोपी गाडलिंग ने जमानत के लिए याचिका दायर की
एल्गार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी वकील सुरेंद्र गाडलिंग ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें अगले महीने उनकी मां की पहली पुण्यतिथि पर कुछ रस्मों में भाग लेने के लिए अस्थायी जमानत दी जाए।गाडलिंग ने पिछले साल जमानत के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी।
वकील इंदिरा जयसिंह और आर सत्यनारायण के जरिये दायर की गई याचिका में गाडलिंग ने विशेष अदालत के 2020 के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उनकी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अस्थायी जमानत की याचिका को खारिज कर दिया गया था।गाडलिंग को पुणे पुलिस द्वारा जून 2018 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं।