- पूरे देश में कोरोना के 1 हजार से ज्यादा मामले
- महाराष्ट्र , केरल सबसे ज्याजा प्रभावित
- सीएम उद्धव ठाकरे ने लोगों से ब्लड डोनेट करने की अपील की
नई दिल्ली। दुनिया के तमाम सारे देशों के साथ साथ भारता भी कोरोना संकट का सामना कर रहा है। अभी तक इस बीमारी से निपटने के लिए किसी वैक्सीन की खोज नहीं हुई है और टेस्ट के लिए ऐसे किट बनाने पर अनुसंधान किया जा रहा है कि ताकि कोरोना का पता लगने के समय में कमी आ सके। भारत की वाइरोलॉजिस्ट मीनल दाखवे भोसले की टीम ने वो कर दिखाया जिस पर देश ही नहीं दुनिया को भी नाज है।
कोरोना टेस्टिंग किट बनाने में लगा 6 हफ्ते
मीनल की टीम ने महज 6 हफ्तों में टेस्टिंग किट को अंजाम पर पहुंचा दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि जब वो इस किट को बनावे के लिए अंतिम चरण में थीं तो उसी समय उनकी प्रेग्नेंसी भी अंतिम चरण में थी। भोसले नें टेस्टिंग किट के मूल्यांकन से ठीक एक दिन पहले प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। मीनल बताती है कि उनके लिए वो अनुभव दो बच्चों को जन्म देने जैसा है। वो कहती हैं कि एक ही साथ समानांतर दो यात्राएं जारी थीं।
टेस्टिंग किट बनाने के दौरान मीनल थीं प्रेग्नेंट
जिस समय मीनल टेस्टिंग किट पर काम कर रही थीं उस समय उनकी प्रेग्नेंसी में भी तमाम तरह की दिक्कत थी। लेकिन उनके लिए लोगों की सेवा करना सबसे बड़ा मकसद था। वो यह समझ रही थीं कि आज दुनिया के सामने कोरोना सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। कोरोना टेस्टिंग में अगर लगने वाले समय को कम कर दिया जाए तो वो अपने आप में बड़ी कामयाबी है।
'इस समय काम नहीं करती तो पढ़ाई का क्या मतलब होता'
मीनल बताती हैं कि वो पिछले पांच वर्षों से इस फील्ड में काम कर रही हैं। ये बात सही है कि उनकी प्रेग्नेंसी भी आखिरी चरण में थी। लेकिन वो सोचा करती थीं कि अगर इमरजेंसी के समय उन्होंने काम नहीं किया तो पढ़ाई लिखाई का मतलब ही क्या है। प्रेग्नेंसी की वजह से वो लैब नहीं जा पाती थीं। लेकिन घर से ही वो 10 लोगों की टीम को गाइड किया करती थीं। वो कहती हैं कि टीम के सभी सदस्यों को वो पहले से जानती थीं और इस वजह से काम को अंजाम देने में कभी किसी तरह की परेशानी नहीं आई।