- सर्वे में 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग 6,000 महिलाओं ने लिया भाग
- महिलाओं ने पब्लिक टॉयलेट्स को लेकर कही अहम बात
- संक्रमण के डर से सार्वजनिक शौचालयों में सैनिटरी पैड नहीं बदल पाती महिलाएं
नई दिल्ली: एक सर्वेक्षण के अनुसार, गंदे सार्वजनिक शौचालय, नींद में खलल और ऐंठन मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के लिए कुछ प्रमुख संबंधी चिंताएं हैं। सर्वेक्षण में 35 से अधिक शहरों से 18 से 35 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग 6,000 महिलाओं को शामिल किया गया। इसके अनुसार, 53.2 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे अपने मासिक धर्म के पहले दो दिनों के दौरान अच्छी नींद नहीं ले पाती हैं। इसके अलावा, 67.5 प्रतिशत प्रतिभागी अपनी माहवारी के दौरान सोते समय दाग लगने के डर को लेकर चिंतित रहती हैं।
महिलाओं को लेकर सामने आई ये बात
सर्वेक्षण में पाया गया कि 57.3 प्रतिशत महिलाओं ने मध्यम से गंभीर मासिक धर्म संबंधी ऐंठन का अनुभव किया, जबकि 37.2 प्रतिशत महिलाओं को मासिक धर्म में हल्का या कभी-कभी दर्द होता था। सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 62.2 प्रतिशत महिलाओं ने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी कार्यालय, मॉल या सिनेमा हॉल के सार्वजनिक शौचालय में सैनिटरी पैड कभी नहीं बदला है। इसमें कहा गया है कि 74.6 फीसदी महिलाएं सार्वजनिक शौचालय में अपना सैनिटरी पैड बदलने में असहज महसूस करती हैं और 88.3 फीसदी का मानना है कि गंदे शौचालय मूत्र नलिका के संक्रमित होने (यूटीआई) का स्रोत हो सकते हैं।
माहवारी के दौरान चौंकाने वाले तथ्य
सर्वेक्षण में मासिक धर्म शुरू होने की औसत उम्र और अवधि के बारे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। 79.3 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने 12 वर्ष या उससे अधिक की उम्र में अपने पहले मासिक धर्म का अनुभव किया, जबकि 63.1 प्रतिशत ने उन लड़कियों के बारे में बताया जिनका अभी-अभी मासिक धर्म शुरू हुआ, जिन्हें वे जानती थीं। इनमें 37.5 प्रतिशत लड़कियों का मासिक धर्म 11 वर्ष या उससे कम आयु में शुरू हुआ। सर्वेक्षण से पता चलता है कि लड़कियों को अब केवल 8 (3.2 प्रतिशत) या 9 वर्ष (4.8 प्रतिशत) की उम्र में मासिक धर्म हो रहा है। पैन हेल्थकेयर के सीईओ चिराग पान ने कहा कि इस साल का एवरटीन सर्वेक्षण अनुसंधान समुदाय, उद्योग जगत और नीति निर्माताओं के लिए स्पष्ट कार्रवाई में मददगार हो सकता है।
तय करना है लंबा रास्ता
उन्होंने कहा, ‘हम सार्वजनिक शौचालयों के स्वच्छता मानक और मूल्यांकन स्थापित करने के लिए सूक्ष्म-अर्थव्यवस्था की नीतियों में अधिक ध्यान दे सकते हैं ताकि महिलाएं संक्रमण के डर के बिना सैनिटरी पैड बदलने के लिए उनका उपयोग कर सकें। उद्योग के लिए, यह पता लगाने की गुंजाइश है कि... अधिक नवोन्मेषी उत्पादों के जरिए महिलाओं के लिए इसे किस प्रकार आसान बनाया जा सकता है।’ एवरटीन के निर्माता, वेट एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ हरिओम त्यागी ने कहा, ‘‘वर्षों से, हमारे सर्वेक्षणों से पता चला है कि मासिक धर्म को लेकर जागरूकता बढ़ रही है और वर्जनाओं को तोड़ा जा रहा है... भारतीय महिलाएं पारंपरिक आवरण से बाहर निकल रही हैं और एक पूर्ण स्त्री स्वच्छता व्यवस्था को स्वीकार कर रही हैं। लेकिन हमें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।’’
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