- पटियाला हाउस कोर्ट से दिशा रवि को राहत मिली है
- दिशा को उसकी एक दिन की पुलिस हिरासत के अंत में अदालत में पेश किया गया
- जैकब और मुलुक कल जांच में शामिल हुए थे
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी, जिसे दिल्ली पुलिस ने किसानों के विरोध टूलकिट मामले में गिरफ्तार किया था। पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दिशा रवि की याचिका को स्वीकार कर लिया और 1,00,000 रुपये का जमानत बांड देने पर जमानत दे दी।
पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को स्थानीय अदालत से जमानत मिलने के बाद रात को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया।उन्हें किसान आंदोलन का समर्थन करने से जुड़ा टूलकिट सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
अधिकारी ने बताया, ‘‘जेल प्रशासन ने रिहाई संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली, जिसके बाद दिशा रवि को रिहा कर दिया गया।’’आज दिन में दिल्ली की एक अदालत ने 22 वर्षीय रवि को जमानत देते हुए कहा कि पुलिस द्वारा पेश साक्ष्य ‘‘कम और ठोस नहीं हैं।’’ रवि को बेंगलुरु से 13 फरवरी को दिल्ली पुलिस के साइबर सेल ने गिरफ्तार किया था।
इससे पहले दिन में, दिशा रवि टूलकिट मामले की जाँच में शामिल हईं और दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के कार्यालय में पहुँची। अदालत को बताया गया था कि टूलकिट मामले में अन्य दो आरोपी निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के साथ कल बातचीत के बाद दिशा को कल एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
दिल्ली पुलिस "टूलकिट गूगल डॉक" की जांच कर रही है
जैकब और मुलुक कल जांच में शामिल हुए थे और दिल्ली पुलिस के साइबर सेल द्वारा द्वारका स्थित अपने कार्यालय में उनसे पूछताछ की गई थी।दिल्ली पुलिस "टूलकिट गूगल डॉक" की जांच कर रही है जिसे गलती से साझा किया गया था टूलकिट ने भारत में चल रहे किसानों के विरोध का समर्थन किया था और इसे समर्थन देने के तरीके सुझाए थे।
'टूलकिट ने हिंसा भड़काई और भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश की'
सरकार और पुलिस ने दावा किया है कि टूलकिट ने हिंसा भड़काई और भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश की। दिल्ली पुलिस ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया था। इस बीच, जैकब और मुलुक को अदालतों द्वारा पूर्व-गिरफ्तारी जमानत दी गई है।
गौरतलब है कि ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नवंबर के अंत से दिल्ली के विभिन्न बार्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।