नई दिल्ली: जनमानस की यह मान्यता है कि जैसा शासन होता है, वैसा प्रशासन होता है। जनता की इसी सोच का संज्ञान लेते हुए किसानों के हितैषी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की टॉप ब्यूरोक्रेसी को नोडल अफसर के रूप में किसानों का हाल-चाल जानने के लिए कड़ाके की ठंड में सभी 75 जिलों में भेजा। यूपी की नौकरशाही में यह पहला अवसर है, जब सूबे के 75 टॉप ब्यूरोक्रेट क्रिसमस और नए वर्ष की छुट्टियां मनाने के बजाए बीते तीन दिनों से ग्रामीण इलाकों में धान एवं गन्ना क्रय केंद्र, गौशालाओं और कोविड केयर सेंटर की जांच पड़ताल कर रहें हैं, रियलिटी चेक कर रहें हैं। किसानों की दिक्कतों का पता लगा रहें हैं। और उनका निदान भी कर रहें हैं।
मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी योजनाओं और सुविधाओं की हकीकत जानने के लिए धरातल पर जाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में गाजियाबाद के डीएम ने नजीर पेश की है। जिलाधिकारी गाजियाबाद डॉक्टर अजय शंकर पांडेय ने व्यवस्थाओं की जानकारी के लिए रैन बसेरे में न केवल रात बितायी बल्कि रैन बसेरे के बिस्तरों को अपने बिस्तर की तरह इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं डीएम गाजियाबाद ने रैन बसेरे में ही अपना ऑफिस लगाया और फाइलें निपटाईं।
मंगलवार सुबह 11 बजे खुद को समाजसेवी कहने वाले एक व्यक्ति ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी से मुलाकात की और उनसे शहर में बने रैन बसेरों में खराब इंतजाम की शिकायत की थी। जिसके बाद खुद जिलाधिकारी रात को 11 बजे अर्थला स्थित रैन बसेरे पहुंचे। आधा घंटा यहां रुकने के बाद डीएम राजनगर में बने रैन बसेरे में पहुंचे। यहां पर लगे एक बिस्तर पर ही वह बैठ गए। जब समाजसेवी को डीएम के ओएसडी ने बताया कि डीएम खुद रैन बसेरे पहुंचे हैं और वहां रात बिताएंगे तो समाजसेवी ने फोन बंद कर लिया।