- 11वीं शताब्दी ने विश्वनाथ मंदिर पर कुतुबद्दीन ऐबक ने हमला कराया
- 1585 में राजा टोडरमल ने मंदिर पुनर्निर्माण किया
- 1669 में औरंगजेब के आदेश पर मंदिर तोड़ा गया और मस्जिद बनाई गई
नई दिल्ली। वाराणसी के पुराने विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में जब फास्ट ट्रैक ने एएसआई के जरिए सर्वे कराने का निर्णय दिया तो एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी करीब करीब बौखला गए। आप उनकी बौखलाहट को उनके खुद के बयान से समझ सकते हैं। वो फास्ट ट्रैक कोर्ट के निर्णय पर भड़क गए और कहा कि इतिहास दोहराया जाएगा। अब सवाल यह है वो किस तरह के इतिहास के दोहराने की बात कर रहे हैं।
संदेह के घेरे में अदालती फैसला
असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं कि अदालत का फैसला संदेह के घेरे में और उसके लिए बाबरी केस में फैसले का जिक्र किया। वो कहते हैं कि अगर कोई भी टाइटिल या साक्ष्य दो एएसआई के द्वारा लाए जाते हैं उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सच तो ये है कि एएसआई ने सभी तरह के हिंदुत्व के झूठ में मिडवाइफ की तरह काम किया है। एएसआई के साक्ष्यों से कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाल सकता है।
कुछ तथ्य
- सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की निर्णय लिया
- अदालती फैसले का 50-50 समर्थन और विरोध
- कोर्ट का फैसला कानूनी आधार पर संदेह के दायरे में
मस्जिद समित तत्काल अपील करे
मस्जिद समिति को इस आदेश से पहले तत्काल अपील करनी चाहिए और इसे सुधारना चाहिए। एएसआई को केवल एक धोखाधड़ी की संभावना है और इतिहास दोहराया जाएगा जैसा कि बाबरी के मामले में किया गया था। किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति को बदलने का कोई अधिकार नहीं है।ओवैसी कहते हैं कि 2003 में अयोध्या में जब एएसआई उत्खनन करा रही थी तो उस वक्त ही तरह तरह के गंभीर सवाल उठाए गए थे। यहां तक की प्रचलन में नहीं रहने वाले तरीकों का भी जिक्र थाय़ इसके साथ ही एएसआई ने जिन तरीकों का इस्तेमाल किया था वो भी सवालों के घेरे में थे।
पूजा स्थल अधिनियम 1991 का पालन हो
यह स्पष्ट है कि बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के "अहंकारी आपराधिक कृत्य" को अंजाम देने वाले लोगों को 1980 के दशक की हिंसा के लिए भारत वापस ले जाने और किसी भी चीज को रोकने के लिए किसी भी चीज पर रोक नहीं होगी।विधि द्वारा पूजा स्थल अधिनियम 1991 को लागू करने के लिए आवश्यक है जो धार्मिक स्थान के रूपांतरण पर रोक लगाता है। उसे हस्तक्षेप करने की हिम्मत मिलनी चाहिए। जब हम बाबरी के बारे में अपनी निराशा व्यक्त करते हैं, तो कई लोग हमें "बंद" करने की बात कर रहे थे। अब आप सब कहा हैं?